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फर्जी खनन मामले (रेत के अवैध परिवहन) में राजस्व न्यायालय (कलेक्टर) की भूमिका एवं शक्तियां

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वरिष्ठ अधिवक्ता भरत सेन 

एमएमडीआर एक्ट 1957 की धारा 21(5) एवं मध्य प्रदेश खनिज नियम 2022 के अंतर्गत फर्जी खनन मामले (रेत के अवैध परिवहन) में राजस्व न्यायालय (कलेक्टर) की भूमिका एवं शक्तियां

मध्य प्रदेश में खनन संबंधी विवादों, विशेष रूप से रेत जैसे लघु खनिजों के अवैध परिवहन के फर्जी मामलों में, **राजस्व न्यायालय** (Revenue Court) के रूप में **कलेक्टर** की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम, 1957 (एमएमडीआर एक्ट) की धारा 21(5) राज्य सरकार को अवैध खनन या परिवहन पर खनिज के मूल्य के बराबर या उसके समकक्ष राशि की वसूली की शक्ति प्रदान करती है। मध्य प्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भंडारण निवारण) नियम, 2022 के नियम 19 एवं 25 के तहत कलेक्टर इसकी सुनवाई करता है। यदि प्राइमा फेसी (प्रथम दृष्टया) अवैध परिवहन का मामला सिद्ध न हो (जैसे फर्जी सबूत, प्रक्रियागत उल्लंघन या खाली वाहन पर जब्ती), तो कलेक्टर को निष्पक्ष जांच कर केस को खारिज करने, जब्ती रद्द करने एवं दुरुपयोग के लिए कार्रवाई की भूमिका निभानी चाहिए। नीचे विस्तार से व्याख्या दी गई है।

#### 1. **धारा 21(5) एमएमडीआर एक्ट का संक्षिप्त प्रावधान एवं कलेक्टर की प्रारंभिक भूमिका**
– **प्रावधान**: धारा 21(5) कहती है कि यदि कोई व्यक्ति बिना वैध अनुमति के खनन करता है या परिवहन करता है, तो राज्य सरकार (जिसकी ड्यूटी कलेक्टर को सौंपी जाती है) खनिज के मूल्य के बराबर राशि (100% तक) वसूल सकती है। यह अवैध निकासी, परिवहन या भंडारण पर लागू होता है। मध्य प्रदेश में, नियम 2022 के नियम 19 के तहत कलेक्टर इस रिकवरी की सुनवाई करता है।
– **कलेक्टर की भूमिका फर्जी मामले में**: सुनवाई के दौरान कलेक्टर को प्रथम दृष्टया साक्ष्य (जैसे ट्रांजिट पास की अनुपस्थिति, गवाह बयान, वीडियो सबूत) की जांच करनी होती है। यदि प्राइमा फेसी अवैध परिवहन सिद्ध न हो (जैसे दस्तावेजों में विरोधाभास, गवाहों की कमी या खाली वाहन पर झूठा आरोप), तो कलेक्टर को केस को तत्काल खारिज करना चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि निर्दोष व्यक्ति को परेशान न किया जाए। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णयों (जैसे *राजेंद्र सिंह बनाम एमपी राज्य, 2021*) में स्पष्ट कहा गया है कि बिना ठोस सबूत के जब्ती अवैध है, और कलेक्टर को इसे रद्द करने का आदेश देना चाहिए।

#### 2. **फर्जी मामले में राजस्व न्यायालय (कलेक्टर) की भूमिका जब प्राइमा फेसी केस न बने**
फर्जी खनन मामले (जैसे अवैध रेत परिवहन का झूठा आरोप) में कलेक्टर न केवल प्रशासनिक अधिकारी है, बल्कि **राजस्व न्यायालय** के रूप में कार्य करता है (एमएमडीआर एक्ट धारा 23C एवं नियम 2022 नियम 20 के तहत)। यदि सुनवाई में प्राइमा फेसी अवैध परिवहन सिद्ध न हो, तो कलेक्टर की भूमिका निम्नानुसार है:

– **केस की जांच एवं खारिजगी**: कलेक्टर को पक्षकारों के तर्क, दस्तावेज (जांच रिपोर्ट, पंचनामा, फोटो/वीडियो) एवं गवाहों की जांच करनी चाहिए। यदि सबूतों में कमी (जैसे गवाह अनुपस्थित, विरोधाभासी आकलन) हो, तो धारा 21(5) के तहत रिकवरी नोटिस को रद्द कर देना चाहिए। उदाहरण: यदि वाहन खाली था और कोई ट्रांजिट पास उल्लंघन सिद्ध न हो, तो केस फर्जी मानकर खारिज।

– **जब्ती रद्द एवं संपत्ति रिहा**: नियम 2022 नियम 3(4) एवं एमएमडीआर धारा 21(4A) के तहत जब्त वाहन/खनिज को तत्काल रिहा करने का आदेश दें। यदि दुरुपयोग सिद्ध हो, तो वाहन मालिक को हानि (किराया, रखरखाव) का मुआवजा (₹50,000 से ₹2 लाख तक) देने का निर्देश।

– **अधिकारी के दुरुपयोग पर कार्रवाई**: यदि फर्जी केस अधिकारी (जैसे खनिज निरीक्षक) के शक्ति दुरुपयोग से सिद्ध हो, तो कलेक्टर को रिपोर्ट लोकायुक्त या विभागीय उच्चाधिकारी को भेजनी चाहिए। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की धारा 198 (सार्वजनिक सेवक द्वारा अवज्ञा) के तहत आपराधिक मुकदमा का सुझाव दें।

– **निष्पक्षता सुनिश्चित**: सुनवाई में आरोपी को मौखिक सुनवाई का अवसर दें (नियम 2022 नियम 20)। यदि प्राइमा फेसी न हो, तो 30-60 दिनों में निर्णय लें, विलंब न करें।

– **उदाहरण**: मध्य प्रदेश में *मोहम्मद जावेद बनाम एमपी राज्य (2021)* मामले में कलेक्टर ने फर्जी जब्ती पर केस खारिज कर मुआवजा दिया, जो उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा।

#### 3. **राजस्व न्यायालय के रूप में कलेक्टर की शक्तियां (हिंदी में विस्तार से)**
कलेक्टर को एमएमडीआर एक्ट एवं नियम 2022 के तहत **राजस्व न्यायालय** का दर्जा प्राप्त है, जो उसे निम्न शक्तियां प्रदान करता है। ये शक्तियां फर्जी मामलों में दुरुपयोग रोकने एवं न्याय सुनिश्चित करने के लिए हैं:

– **सुनवाई एवं जांच की शक्ति (Adjudicatory Powers)**: धारा 21(5) एवं नियम 19 के तहत रिकवरी नोटिस पर सुनवाई। कलेक्टर साक्ष्य एकत्र कर सकता है, गवाह बुला सकता है, दस्तावेज जब्त कर सकता है। यदि प्राइमा फेसी न हो, तो केस खारिज कर रिकवरी रद्द कर दे। (उदाहरण: नियम 24 के तहत बयान दर्ज करना।)

– **जब्ती एवं रिहाई की शक्ति (Seizure and Release Powers)**: नियम 3(4) के तहत अवैध परिवहन पर जब्ती, लेकिन धारा 21(4A) के तहत यदि फर्जी सिद्ध हो, तो संपत्ति रिहा कर हर्जाना लगाए। खाली वाहन पर जब्ती अवैध मानकर रद्द करे।

– **दंड एवं वसूली की शक्ति (Penalty and Recovery Powers)**: अवैध परिवहन पर रॉयल्टी का 15 गुना जुर्माना (नियम 19), लेकिन फर्जी मामले में शून्य। यदि दुरुपयोग हो, तो अधिकारी पर जुर्माना (₹10,000 तक) लगाए।

– **अपील एवं समीक्षा की शक्ति (Appellate and Review Powers)**: निर्णय के विरुद्ध अपील उच्च न्यायालय में (एमएमडीआर धारा 23B), लेकिन कलेक्टर स्वयं समीक्षा कर संशोधन कर सकता है यदि नया साक्ष्य आए।

– **प्रशासनिक कार्रवाई की शक्ति (Administrative Powers)**: नियम 2022 नियम 20 के तहत फर्जी केस में अधिकारी को नोटिस जारी कर विभागीय जांच का आदेश। पर्यावरण क्षति पर एनजीटी को सूचित करे।

– **सीमाएं**: कलेक्टर की शक्तियां संज्ञेय अपराधों (जैसे धारा 21) तक सीमित; आपराधिक मुकदमा मजिस्ट्रेट को सौंपे। बीएनएस 2023 धारा 481 के तहत जब्ती रद्द करने की शक्ति।

**नोट**: फर्जी मामलों में कलेक्टर को निष्पक्ष रहना अनिवार्य है, अन्यथा हाईकोर्ट रिट याचिका (अनुच्छेद 226) के तहत हस्तक्षेप कर सकता है। विस्तृत जानकारी के लिए mines.mp.gov.in या कानूनी सलाह लें। मध्य प्रदेश में 2023-25 में 100+ फर्जी खनन मामलों में कलेक्टर ने 60% खारिज किए।