बैतूल में खनन अधिकारी की मनमानी का नया अध्याय: रिक्त डम्पर जब्त कर फर्जी रेत केस, विभागीय जांच की मांग

ब्यूरो रिपोर्ट
बैतूल में खनन अधिकारी की मनमानी का नया अध्याय: रिक्त डम्पर जब्त कर फर्जी रेत केस, विभागीय जांच की मांग
**बैतूल, 10 दिसंबर 2025 (विशेष संवाददाता)**: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में खनिज विभाग की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही। मात्र पांच दिनों पहले सहायक खनिज अधिकारी बी.के. नागवंशी द्वारा रिक्त डम्पर (एमपी 28 एच 1864) की जब्ती और 18 घन मीटर रेत के अवैध परिवहन का फर्जी आरोप लगाने का मामला गरमाया ही था कि अब विभागीय स्तर पर इसकी जांच की मांग तेज हो गई है। वाहन स्वामी सुनील रघुवंशी (छिंदवाड़ा) और चालक महेश यदुवंशी (छिंदवाड़ा) ने खान एवं खनिज अधिनियम, 1957 की धारा 21(4) एवं मध्य प्रदेश खनिज नियम, 2022 के प्रावधानों का हवाला देते हुए अपर कलेक्टर बैतूल के राजस्व न्यायालय में ₹2,33,750 की वसूली के फर्जी प्रकरण को चुनौती दी है। वकील भारत सेन की पैरवी में यह केस शक्ति दुरुपयोग का प्रतीक बन चुका है, जहां अधिकारी ने बिना सबूत के निर्दोषों को फंसाया।
**मामले का विस्तृत घटनाक्रम: रिक्त वाहन पर रेत का ‘भूत’**:
5 नवंबर 2025 को मध्य रात्रि करीब 1 बजे डम्पर ग्राम डकनीभाटा (तीरभाटा) में भद्दू उइके के निर्माणाधीन आवास के पास रुका। वाहन फ्लाई ऐश (उड़न राख) परिवहन के लिए सारणी की ओर जा रहा था, जो औद्योगिक उपयोग का सामान्य माल है। चालक महेश यदुवंशी ने खुला स्थान देखकर वाहन पार्क किया, जहां पहले से ग्रामीणों द्वारा नदी (लगभग 2 किमी दूर) से लाई गई रेत बिखरी पड़ी थी—यह ग्रामीणों की व्यक्तिगत आवश्यकता (घर निर्माण) के लिए आम प्रथा है, जो नियम 2022 के नियम 18(4) के तहत 50 घन मीटर तक लाइसेंस-मुक्त है।
सहायक अधिकारी बी.के. नागवंशी ने मौके पर पहुंचकर कोई पूछताछ नहीं की—न भवन स्वामी भद्दू उइके से, न स्थानीय ग्रामीणों के बयान लिए। पंचनामा में स्वतंत्र गवाहों का नाम तक नहीं, कोई वीडियो या फोटो सबूत नहीं। बावजूद इसके, जोर-जबरदस्ती से डम्पर को पुलिस थाना सारणी ले जाकर खड़ा कर दिया गया। दस्तावेजों में जादू की तरह 18 घन मीटर रेत का ‘अवैध परिवहन’ जोड़ दिया गया, जबकि वाहन पूरी तरह रिक्त था। विभाग ने दंडिक न्यायालय में धारा 22 के तहत परिवाद पत्र या पुलिस में अपराध दर्ज नहीं कराया, लेकिन राजस्व न्यायालय में धारा 21(5) एवं नियम 2022 के तहत वसूली का प्रकरण ठोंक दिया। यह शक्ति का नंगा दुरुपयोग है, जहां अधिकारी ने बिना ‘कारण से विश्वास’ (reason to believe) के जब्ती की, जो एमएमडीआर एक्ट की मूल भावना का उल्लंघन है।
वाहन स्वामी सुनील रघुवंशी ने बताया, “मेरा डम्पर फ्लाई ऐश लेने जा रहा था, रेत से कोई वास्ता नहीं। अधिकारी ने रात के अंधेरे में मनमानी की, अब मेरा वाहन पुलिस कस्टडी में सड़ रहा है। रोज ₹5,000 का नुकसान हो रहा, परिवार परेशान है।” चालक महेश यदुवंशी ने कहा, “मैंने कुछ गलत नहीं किया, बस रुका था। अधिकारी ने बिना सुने जबरन ले लिया।”
**शक्ति दुरुपयोग के आयाम: विभागीय लापरवाही का खुलासा**:
यह मामला बैतूल खनिज विभाग की पुरानी बीमारी को उजागर करता है। सूत्रों के अनुसार, नागवंशी पर पहले भी दो शिकायतें आई हैं—एक 2024 में अवैध जब्ती पर, जो विभाग ने दबा दी। मध्य प्रदेश खनिज नियम, 2022 के नियम 24 के तहत जांच में बयान दर्ज, तकनीकी सबूत (वीडियो) और गवाह अनिवार्य हैं, लेकिन यहां कुछ नहीं। पंचनामा का अभाव बीएनएस 2023 की धारा 103 (खोजी प्रक्रिया) का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट के *सुहेल अहमद बनाम यूपी राज्य (2020)* निर्णय में स्पष्ट कहा गया: रिक्त वाहन पर जब्ती अवैध, मुआवजा देय।
स्थानीय ट्रांसपोर्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रामेश्वर पटेल ने कहा, “बैतूल में 2025 में 35+ फर्जी खनन केस दर्ज, 20% में प्रक्रिया गड़बड़ी। अधिकारी लक्ष्य पूरा करने के चक्कर में निर्दोषों को फंसाते हैं। हम हाईकोर्ट जाने को तैयार।” पर्यावरण कार्यकर्ता मीरा वर्मा ने चेतावनी दी, “खनन नियम पर्यावरण बचाने के हैं, न कि छोटे व्यापारियों को लूटने के। सरकार डिजिटल चेक-पोस्ट लगाए, अन्यथा आंदोलन।”
राजस्व न्यायालय में सुनवाई 15 दिसंबर को है। वकील भारत सेन ने कहा, “हम केस खारिज करवाएंगे और लोकायुक्त को शिकायत करेंगे। यह दुरुपयोग बीएनएस धारा 198 का अपराध है—अधिकारी को निलंबन और मुकदमा हो।”
**अधिवक्ता भारत सेन का अभिमत: शक्ति दुरुपयोग रोकने के लिए जागरूकता जरूरी**
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं खनन विधि विशेषज्ञ भारत सेन (मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सदस्य) ने इस फर्जी प्रकरण पर अभिमत देते हुए कहा: “एमएमडीआर एक्ट 1957 की धारा 21(4) अधिकारियों को सीमित शक्ति देती है—केवल अवैध परिवहन के ठोस सबूत पर जब्ती। मध्य प्रदेश खनिज नियम, 2022 के नियम 3(4) एवं 24 में स्पष्ट है: पंचनामा गवाहों के साथ, बयान दर्ज, वीडियो सबूत अनिवार्य। नागवंशी का कार्य मनमाना है—रिक्त डम्पर पर रेत का आरोप लगाकर ₹2 लाख वसूली का प्रयास न केवल फर्जीवाड़ा, बल्कि भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 198 (कानून की अवज्ञा) एवं 324 (सम्पत्ति हानि) का अपराध है।
आम जनता को समझना चाहिए: यदि ऐसा हो, तो तुरंत शिकायत विभागीय उच्चाधिकारी या लोकायुक्त को करें (एमपी लोकायुक्त अधिनियम धारा 7)। विभागीय जांच से निलंबन (एमपी सीएसआर नियम 14), और आपराधिक मुकदमा मजिस्ट्रेट में (बीएनएस धारा 190) संभव। हाईकोर्ट रिट याचिका (अनुच्छेद 226) से तत्काल वाहन रिहा। सुप्रीम कोर्ट (*राजेंद्र सिंह बनाम एमपी राज्य, 2021*) ने कहा: बिना सबूत की जब्ती अवैध, मुआवजा ₹1-2 लाख तक। सरकार को अधिकारी प्रशिक्षण दे, डिजिटल ट्रैकिंग लागू करे। कानून सबका हितैषी है—दुरुपयोगी का नहीं। नागरिक जागें, अन्यथा ऐसी मनमानी बढ़ेगी। यह केस न्याय की जीत का प्रतीक बनेगा।”
