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660 मेगावॉट क्रिटिकल ईकाई की स्थापना के लिए सभी बाधायें दूर ,संगठनों के प्रयास रंग लाये

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ब्यूरो रिपोर्ट 

सारनी में विकास की अपार संभावनाऐं हैं। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह में 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल की नई इकाई की स्थापना के लिए भेल से हुआ अनुबंध।

सारनी— सतपुड़ा ताप विद्युत गृह में इकाई क्रमांक 12 सुपर क्रिटिकल की नई इकाई को कैबिनेट की स्वीकृति मिलने के बाद ईकाई की स्थापना के लिए सभी बाधायें दूर हो गई है। अनेक संगठनों के साथ ही विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन मध्यप्रदेश के 2017 से लगातार पत्राचार करने के कारण सरकार को अपनी घोषणा को धरातल पर क्रियान्वित करना पडा।

उल्लेखनीय यह है कि तत्कालीन मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2011 में नई 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट लगाने की घोषणा की थी। यूनियन के प्रांतीय महामंत्री सुशील शर्मा ने बताया कि इस इकाई को धरातल पर आने के लिए 14 वर्ष लग गए।

सारनी एवं अमरकंटक में 660-660 मेगावाट की ईकाई निर्माण के लिए पुन: 26 अगस्त 25 को भोपाल में मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव को ज्ञापन सौंपकर शीघ्र ही कार्य शुरु करने की माँग की गई। इन ईकाईयों का निर्माण कार्य समय पर होता तो,अब तक इन ईकाईयों से उत्पादन शुरु होना था।

क्षेत्रीय महामंत्री अंबादास सूने ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि सारनी में विकास की अपार संभावनाऐं है। यहां पर एक और 660 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट , 200 मेगावाट का सोलर पावर प्लांट एवं लगभग 40 मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन हो सकता है। जिसके लिए पत्राचार जारी है। इसके लिए आवश्यकता है तो मात्र हम सभी के सामुहिक प्रयास और सरकार के साथ जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचाने की। विकास की गंगा बहने लगे तो सतपुड़ा संकुल अपने परम वैभव के शिखर पर पहुंच सकता है।

2008 से 2019 तक क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों की उदासीनता एवं सरकार बदलने के कारण क्षेत्र में विकास की गंगा रूक गई थी। सन 2018 में आमला सारनी के विधायक डॉक्टर योगेश पंडाग्रे ने बाबा मठारदेव की पावन नगरी सारनी के वैभव को पुनः स्थापित करने के लिए प्रयास किया। सुपर क्रिटिकल ईकाई की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के बोर्ड आफ डायरेक्टर्स द्वारा स्वीकृत भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड के निविदा प्रस्ताव पर मध्यप्रदेश शासन के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव औेर प्रद्युम्न सिंह तोमर ऊर्जा मंत्री मध्यप्रदेश शासन के नेतृत्व में संपन्न कैबिनेट की बैठक में अनुमोदित कर अमरकंटक और सतपुड़ा के लिए 23 हजार करोड रुपए की स्वीकृति दी है। राज्य शासन के सुशासन और विकासशील नीती के अनुरूप क्षेत्रीय सांसद दुर्गादास उइके केन्द्रीय राज्य मंत्री द्वारा भी पाथाखेडा एरिया में तवा-3 और गांधीग्राम भूमिगत खदान खोलने के लिए सराहनीय प्रयास किया, जिससे क्षेत्र में रोजगार के और अधिक अवसर उपलब्ध होगें। सारनी और चचाई में पर्याप्त भूमि, जल संसाधन एवं अन्य संसाधन उपलब्ध है। जो मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड के लिए प्लस पाइंट है। सतपुड़ा ताप विद्युत गृह की ईकाई क्रमांक 12 के निर्माणाधीन के लिए मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड जबलपुर के प्रबंध संचालक मनजीत सिंह और भारत हेवी ईलेक्टरीकल लिमिटेड के बीच अनुबंध हुआ। विद्युत मंडल कर्मचारी यूनियन मध्यप्रदेश ने सतपुड़ा ताप विद्युत गृह में भी 660 मेगावाट की ईकाई स्थापित करने के साथ अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई में भी 660 मेगावाट की ईकाई निर्माण की मांग 2017 से लगातार की है। वर्तमान समय में 210 मेगावाट ईकाई से ही उत्पादन अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई से हो रहा है। मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड और कंपनी केडर के कार्मिकों के भविष्य के लिए यूनियन लगातार पत्राचार करती रही। जिसके कारण सतपुड़ा और चचाई में इकाई स्थापित हो रही है। सुपर क्रिटिकल ईकाई के निर्माण में अर्बन नक्सल वादी , पर्यावरण संरक्षण के नाम पर विकास विरोधी तत्व नहीं चाहते थे की वर्तमान सरकार बिजली उत्पादन में वृद्धी करे। आज बिजली की मांग बढती जा रही है। ऐसे में मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की भी जिम्मेदारी है कि मध्यप्रदेश की शांत जनता को सस्ती और अनवरत बिजली की आपूर्ति हो सके। मध्यप्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड की वर्तमान टीम कंपनी के इन्फ्रास्ट्रक्चर और कार्मिकों के हित में संवेदनशील है।