हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने नीम के उपयोग से कैंसर का इलाज करने की दिशा में महत्वपूर्ण खोज की
भरत सेन वरिष्ठ अधिवक्ता
हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने नीम के उपयोग से कैंसर का इलाज करने की दिशा में महत्वपूर्ण खोज की है। राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (एनआईपीईआर) और भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) हैदराबाद के शोधकर्ताओं की एक टीम ने नीम की पत्तियों और फूलों से प्राप्त एक फाइटोकेमिकल यौगिक ‘निम्बोलाइड’ (Nimbolide) की कम जैवउपलब्धता (बायोअवेलेबिलिटी) को समझने में सफलता हासिल की है।
यह खोज बताती है कि निम्बोलाइड की मौखिक (ओरल) अवशोषण क्षमता बहुत कम होती है, जिसके कारण यह शरीर में पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता। लेकिन अंतःशिरा (इंट्रावेनस या IV) प्रशासन के माध्यम से इसे देने पर रक्त प्लाज्मा में इसकी सांद्रता काफी अधिक हो जाती है, जिससे यह कैंसर कोशिकाओं पर प्रभावी ढंग से हमला कर सकता है। शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए गए परीक्षणों में 10, 30 और 50 मिलीग्राम/किलोग्राम की खुराक पर ओरल प्रशासन की जांच की, जहां अवशोषण कम पाया गया, लेकिन 10 मिलीग्राम/किलोग्राम IV खुराक पर बेहतर परिणाम मिले।
यह यौगिक कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करता है और उनके प्रसार (मेटास्टेसिस) को रोकता है। लैब (इन विट्रो) और पशु मॉडल (इन विवो) परीक्षणों में यह अग्नाशय (पैंक्रियास), गले (थ्रोट) और प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ प्रभावी साबित हुआ है। टीम में एसएम बैरा, ए खुराना, जे सोमागोनी, आर श्रीनिवास, सी गोडुगु और एमवीएनके तल्लूरी जैसे वैज्ञानिक शामिल हैं।
यह खोज नीम को कैंसर उपचार के लिए एक सुरक्षित और प्रभावी प्राकृतिक विकल्प के रूप में स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जिसमें न्यूनतम साइड इफेक्ट्स की संभावना है। हालांकि, यह अभी प्रारंभिक चरण में है और मानव परीक्षणों की आवश्यकता है।
निम्बोलाइड (Nimbolide), नीम के पत्तों और फूलों से प्राप्त एक फाइटोकेमिकल यौगिक, कैंसर के उपचार में अपनी बहुमुखी क्षमता के लिए जाना जाता है। पहले के अध्ययनों में यह अग्नाशय (पैंक्रियाटिक), गले (ओरल) और प्रोस्टेट कैंसर के खिलाफ प्रभावी पाया गया था। हाल के शोधों से पता चलता है कि यह अन्य कई प्रकार के कैंसरों में भी एंटीकैंसर गतिविधि प्रदर्शित करता है, मुख्य रूप से अपोप्टोसिस (कोशिका मृत्यु) को प्रेरित करने, कोशिका प्रसार को रोकने और सूजन संबंधी मार्गों को दबाने के माध्यम से। नीचे विभिन्न कैंसर प्रकारों के अन्य अनुप्रयोगों की सूची दी गई है, जिसमें संक्षिप्त तंत्र और संदर्भ शामिल हैं। ये निष्कर्ष मुख्य रूप से इन विट्रो (लैब) और इन विवो (पशु मॉडल) अध्ययनों पर आधारित हैं, और मानव परीक्षणों की आवश्यकता बनी हुई है।
| कैंसर प्रकार | संक्षिप्त अनुप्रयोग और तंत्र | संदर्भ |
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| ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) | कोशिका प्रसार को रोकता है, IGF-1 सिग्नलिंग को दबाता है, G0/G1 चरण में सेल साइकिल को अटकाता है और अपोप्टोसिस बढ़ाता है। | , |
| कोलन कैंसर (Colon Cancer) | NF-κB सक्रियण को रोककर सूजनपूर्ण वातावरण को दबाता है, TRAIL-प्रेरित अपोप्टोसिस को संवेदनशील बनाता है और मेटास्टेसिस को रोकता है। | , |
| मेलानोमा (Melanoma) | HSP90 और HSP70 को लक्षित कर अपोप्टोसिस प्रेरित करता है, कैंसर कोशिकाओं की उत्तरजीविता को कम करता है। | |
| ल्यूकेमिया (Leukemia) | ROS उत्पादन और JNK सिग्नलिंग के माध्यम से अपोप्टोसिस प्रेरित करता है, STAT3 फॉस्फोराइलेशन को रोकता है। | |
| लंग कैंसर (Lung Cancer) | p53-नल कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रियल मार्ग के माध्यम से अपोप्टोसिस प्रेरित करता है। | |
| ग्लियोब्लास्टोमा (Glioblastoma) | Akt फॉस्फोराइलेशन को रोकता है, ERK1/2 स्तरों को कम करता है, ट्यूमर विकास को दबाता है। | |
| ऑस्टियोसारकोमा (Osteosarcoma) | कोशिका प्रसार और मेटास्टेसिस को रोकने में प्रभावी। | , |
| न्यूरोब्लास्टोमा (Neuroblastoma) | कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को दबाता है। | , |
| कोरियोकार्सिनोमा (Choriocarcinoma) | एंटीकैंसर गतिविधि दिखाता है, ट्यूमरजन को रोकता है। | , |
ये अनुप्रयोग निम्बोलाइड को एक संभावित प्राकृतिक एंटीकैंसर एजेंट के रूप में स्थापित करते हैं, लेकिन क्लिनिकल ट्रायल्स और फार्माकोकाइनेटिक अध्ययन आवश्यक हैं ताकि इसकी सुरक्षा और प्रभावकारिता मानव उपयोग के लिए सत्यापित हो सके।
निम्बोलाइड (Nimbolide) एक आशाजनक एंटीकैंसर यौगिक है, लेकिन वर्तमान में (अक्टूबर 2025 तक) इसके लिए कोई मानव क्लिनिकल ट्रायल्स (चरण I, II या III) पंजीकृत नहीं हैं। क्लिनिकलट्रायल्स.गॉव (ClinicalTrials.gov) पर खोज से कोई परिणाम नहीं मिले, जो दर्शाता है कि यह अभी प्रीक्लिनिकल चरण (इन विट्रो और इन विवो अध्ययन) में ही सीमित है। अधिकांश शोध पशु मॉडल्स और लैब परीक्षणों पर आधारित हैं, जहां यह विभिन्न कैंसरों (जैसे अग्नाशय, स्तन, कोलन आदि) के खिलाफ प्रभावी साबित हुआ है, लेकिन मानव परीक्षणों की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
### मुख्य निष्कर्ष और सिफारिशें:
– *प्रीक्लिनिकल स्थिति*: अध्ययनों में निम्बोलाइड ने कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि, मेटास्टेसिस और सूजन को दबाने में सफलता दिखाई है, लेकिन मानव उपयोग के लिए फार्माकोकाइनेटिक्स, सुरक्षा और प्रभावकारिता की पुष्टि की जरूरत है। उदाहरण के लिए, हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा (HCC) के लिए यह आशाजनक है, लेकिन “मानवों में अधिक शोध की आवश्यकता” बताई गई है।
– *संभावित भविष्य*: कुछ शोधकर्ता नैनोमेडिसिन फॉर्मूलेशन (जैसे Nim NPs) विकसित कर रहे हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर स्टेम सेल्स को लक्षित करते हैं, लेकिन ये भी प्रीक्लिनिकल हैं। 2023-2025 के अध्ययनों में कोई क्लिनिकल प्रगति का उल्लेख नहीं है।
– *चुनौतियां*: कम जैवउपलब्धता (बायोअवेलेबिलिटी) एक प्रमुख बाधा है, जिसे IV प्रशासन से हल करने का सुझाव दिया गया है, लेकिन मानव ट्रायल्स के लिए अतिरिक्त पूर्व-क्लिनिकल डेटा जरूरी है।
यदि भविष्य में ट्रायल्स शुरू होते हैं, तो वे संभवतः पैनक्रियाटिक या प्रोस्टेट कैंसर पर केंद्रित होंगे, जहां प्रारंभिक डेटा मजबूत है। नवीनतम अपडेट के लिए क्लिनिकलट्रायल्स.गॉव या PubMed की निगरानी करें।