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पिता” शब्द अपने आप मे संस्कृति और संस्कारों की एक पूरी किताब होता है

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आमला * “पिता” शब्द अपने आप मे संस्कृति और संस्कारों की एक पूरी किताब होता है, जिनका प्रभाव आजीवन मनुष्य के जीवन मे रहता है, पिता के दुनिया से चले के बाद भी।
इसी तरह अपने स्वर्गीय पिता से प्राप्त संस्कारो व अच्छे विचारों के प्रभाव से शिक्षक विजय सोलंकी जी ने उनके पिताजी स्वर्गीय दुलीचंद सोलंकी जी के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में नवाचार करते हुए शहर की अग्रणी परोपकारी संस्था “जनसेवा कल्याण समिति” को 1100rs की राशि….. “मोक्षधाम के कायाकल्प व महाकाल की बगिया” हेतू 1100rs की राशि…… “विजय श्री शिक्षण सोसायटी” हेतू 1100rs की राशि प्रदान की।

दुख के क्षणों में भी सेवाभावी कार्यो में सहयोग की पहल के लिए विजय जी प्रसंशा के पात्र है।
जनसेवा कल्याण समिति भगवान शिव से प्रार्थना करती है कि वे विजय सोलंकी जी के पिता की आत्मा को स्वर्ग में श्रेष्ठ स्थान प्रदान करें।