
मनोज लिल्होरे ब्यूरो बगडोना
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के छोटे से गांव कान्हावाड़ी के आदिवासी किसान परिवार में जन्मे खेमचंद वरकड़े ने कड़ी मेहनत और निरंतर संघर्ष के बल पर assistant veterinary field officer के पद पर स्थान प्राप्त किया है। उनका चयन न केवल परिवार के लिए गर्व का विषय है बल्कि पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा भी बन गया है।
मंगलवार को उनकी पदस्थापना जुवाड़ी में हुई। खेमचंद सरल पृष्ठभूमि से आते हैं। बचपन से ही वे पशुपालन और कृषि से जुड़े माहौल में पले-बढ़े। गांव की सीमित सुविधाओं और संसाधनों के बावजूद उन्होंने शिक्षा और लक्ष्य पर लगातार ध्यान रखा। उन्होंने बताया कि उन्होंने वर्षों पहले ही वेटनरी क्षेत्र में जाने का सपना देखा था और उसी के अनुरूप पूरी निष्ठा से तैयारी में जुटे रहे। अपने चयन पर खुशी व्यक्त करते हुए खेमचंद ने कहा निरंतर मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती । यदि व्यक्ति एक लक्ष्य निर्धारित कर उसे पाने के लिए लगातार प्रयास करता रहे, तो सफलता निश्चित मिलती है।
उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता और पिता रामप्रसाद वरकड़े के साथ-साथ अपने दादा बाबूलाल वरकड़े को दिया। बाबूलाल वरकड़े पूरे प्रदेश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पहचान रखते हैं। वे कैंसर की देसी औषधि उपलब्ध कराने के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके पास इलाज के लिए दूर-दूर से आने वाले लोगों की लंबी लाइन लगती है।
खेमचंद बताते हैं कि उनके दादा से मिला जीवन संघर्ष और सेवा भाव का संस्कार ही उन्हें आज इस मुकाम तक लेकर आया है। खेमचंद की नियुक्ति से कान्हावाड़ी और आसपास के गांवों में खुशी का वातावरण है। ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सफलता से क्षेत्र के युवाओं को शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रेरणा मिलेगी।




