
लेखक: भारत सेन, अधिवक्ता, जिला न्यायालय बैतूल (आम आदमी पार्टी के बैतूल विधि सलाहकार)*
- मध्य प्रदेश खनिज नियम 2022: केंद्र के कानून की अवहेलना या राजस्व उगाही का नया हथियार?
- ### आम आदमी पार्टी ने खोला मोर्चा, कहा – राज्य के नियम 1957 के केंद्रीय अधिनियम से टकरा रहे
भोपाल/बैतूल। आम आदमी पार्टी (AAP) के बैतूल विधि सलाहकार एवं जिला न्यायालय बैतूल के अधिवक्ता भारत सेन ने मध्य प्रदेश खनिज नियम 2022 को केंद्र के खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 के प्रावधानों से सीधे टकराव का आरोप लगाते हुए बड़ा खुलासा किया है। पार्टी ने राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं कि ये नियम केंद्रीय कानून की भावना को विफल करते हैं, अवैध खनन नियंत्रण के बजाय नौकरशाही को भ्रष्टाचार और अवैध वसूली का मौका दे रहे हैं तथा नागरिकों के मूल अधिकारों का हनन कर रहे हैं।
### केंद्रीय अधिनियम बनाम राज्य नियम: कौन सुप्रीम?
भारत सेन, अधिवक्ता, जिला न्यायालय बैतूल के अनुसार, खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 23(ग) के तहत राज्य सरकार को नियम बनाने की शक्ति है, लेकिन ये नियम केंद्रीय कानून के प्रावधानों को कमजोर या विफल नहीं कर सकते। फिर भी मध्य प्रदेश सरकार ने 2022 के खनिज नियम ऐसे बनाए हैं जो कई महत्वपूर्ण धाराओं का उल्लंघन करते हैं।
सेन ने साफ कहा, “अधिनियम के प्रावधानों को विफल करने वाले नियम शून्य होते हैं। मध्य प्रदेश खनिज नियम 2022 कई जगहों पर केंद्रीय कानून से टकरा रहे हैं।”
### राजस्व वसूली का खेल: बिना दांडिक विचारण के सजा?
आम आदमी पार्टी का सबसे बड़ा आरोप यह है कि राज्य सरकार खनिज अपराधों को दांडिक अपराध की बजाय केवल राजस्व वसूली का माध्यम बना रही है।
– अधिनियम 1957 की धारा 21 में खनिज अपराधों के लिए दांडिक न्यायालय में विचारण और सजा का प्रावधान है।
– धारा 21(4A) में जप्त संपत्ति का व्ययन भी दांडिक न्यायालय द्वारा ही किया जाना है।
– धारा 21(5) में राजस्व न्यायालय की भूमिका सिर्फ क्षति/अर्थदंड की गणना तक सीमित है।
लेकिन मध्य प्रदेश खनिज नियम 2022 के अध्याय 5 के नियम 18(2), 19(5) और 21 में जप्त संपत्ति के व्ययन का अधिकार राजस्व न्यायालय को दे दिया गया है। इससे दांडिक प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन हो रहा है।
पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के जयंत बनाम मध्य प्रदेश राज्य (2021) के फैसले का हवाला देते हुए पूछा है, “बिना दांडिक विचारण के खनिज अपराध कैसे नियंत्रित होंगे?” यह सवाल आज भी अनुत्तरित है।
### भ्रष्टाचार का नया चेहरा: संपत्ति बंधक बनाकर फिरौती?
आरोप बेहद गंभीर हैं। भारत सेन ने कहा कि राज्य में नौकरशाही खाली वाहनों पर भी झूठे खनिज अपराध के मुकदमे थोप रही है। वाहन और मशीनें महीनों पुलिस थानों में खड़ी रहती हैं। राजस्व न्यायालय दोहरा अर्थदंड लगा रहे हैं।
– जप्त वाणिज्यिक संपत्ति को छुड़ाने के लिए ऐसे मापदंड बनाए गए हैं जिनका पालन आम नागरिक के लिए लगभग असंभव है।
– प्रषमन (समझौता) न करने पर दोगुना-चौगुना अर्थदंड और अतिरिक्त शुल्क।
– राजस्व न्यायालयों पर आरोप कि वे राज्य सरकार के पक्ष में ही फैसले देते हैं और उच्च न्यायालयों के निर्णयों को भी नजरअंदाज करते हैं।
### पर्यावरण क्षति को भी बनाया कमाई का जरिया
नियम 2022 में रॉयल्टी की 15 गुना राशि और “पर्यावरण क्षति” के नाम पर अलग शुल्क लगाया गया है। सेन ने सवाल उठाया, “पर्यावरण क्षति को धनराशि में कैसे नापा जा सकता है? पैसे लेकर पर्यावरण का संतुलन कैसे बहाल हो जाता है?”
अधिनियम 1957 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि राज्य सरकार पर्यावरण क्षति के लिए अलग शुल्क निर्धारित कर सके।
### अधिक मात्रा का खेल और ठेकेदारों की जिम्मेदारी
नियम 20 में ई-ट्रांजिट पास (ETP) में अंकित मात्रा से अधिक खनिज परिवहन पर अर्थदंड का प्रावधान है। सेन का कहना है कि रेत में प्राकृतिक नमी के कारण 20% तक संकुचन होता है, जिसे ध्यान में नहीं रखा जाता।
उन्होंने सुझाव दिया कि अधिक मात्रा भरने की जिम्मेदारी खनिज ठेकेदार की है, न कि परिवहनकर्ता की। ठेकेदार के खिलाफ ही कार्रवाई होनी चाहिए।
### आम आदमी पार्टी का सुझाव: कानून को कानून बनने दो
पार्टी ने राज्य सरकार से स्पष्ट मांग की है:
1. खनिज नियम 2022 को केंद्रीय अधिनियम 1957 के अनुरूप संशोधित किया जाए।
2. खनिज अपराधों का दांडिक विचारण अनिवार्य किया जाए।
3. राजस्व न्यायालयों की भूमिका सिर्फ क्षति गणना तक सीमित रहे।
4. अपील में 10% राशि जमा करने की जनविरोधी शर्त हटाई जाए।
5. ईमानदार खनिज कारोबारियों को संरक्षण और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
### अंतिम सवाल: अली बाबा और चालीस चोर की कहानी?
भारत सेन, अधिवक्ता, जिला न्यायालय बैतूल ने तंज कसते हुए कहा, “मध्य प्रदेश के खनिज नियम अली बाबा और चालीस चोर की कहानी को चरितार्थ कर रहे हैं।” उनका कहना है कि राज्य सरकार ने केंद्रीय अधिनियम को महत्वहीन बना दिया है और खनिज विभाग खुद कानून का उल्लंघन कर रहा है, जिससे अवैध खनन बढ़ता जा रहा है।
आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को जनहित में उठाया है और उम्मीद जताई है कि राज्य सरकार जल्द ही नियमों में आवश्यक संशोधन करेगी ताकि खनिज उद्योग पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त हो सके।
(यह लेख आम आदमी पार्टी द्वारा जारी ज्ञापन पर आधारित है।)