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आज लोक अदालत का आयोजन

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ब्यूरो रिपोर्ट 

बैतूल -लोक अदालत की कल्पना को मूर्त रूप प्रदान करने के लिए प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल प्लेटफार्म की अहम भूमिका है और आप लोगों के सहयोग से ही हम अपनी बात जन-जन तक पहुंचा सकते है। यह बात बैतूल के जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री प्राणेश कुमार प्राण ने 11 मई को आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत के संदर्भ में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। न्यायाधीश श्री प्राण गुरुवार को न्यायालय परिसर स्थित विधिक सेवा प्राधिकरण के भवन में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय बैतूल एवं तहसील न्यायालय मुलताई, भैंसदेही, आमला में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। जिसके अंतर्गत न्यायालयों में लंबित एवं प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का अधिक से अधिक संख्या में निराकरण किया जाएगा। इस अवसर पर विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव सुश्री महजबीन खान एवं विधिक सलाहकार श्री सोमनाथ भी उपस्थित थे।
उक्त लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों के निराकरण हेतु जिला मुख्यालय बैतूल एवं तहसील स्तर मुलताई, भैंसदेही एवं आमला पर लगभग 3063 लंबित प्रकरणों एवं आज दिनांक तक 5622 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों को लोक अदालत के माध्यम से निराकरण हेतु रेफर किए गए है, जिसके लिए 20 खण्डपीठों का गठन किया गया है। लोक अदालत के माध्यम से प्रकरण का निराकरण होने पर कोर्ट फीस की पूर्ण वापसी हो जाती है, न्यायालय प्रक्रिया में लगने वाले समय एवं धन की बचत तथा आपसी कटुता का अंत हो जाता है।
लोक अदालत की पूर्व तैयारियों के तहत समस्त न्यायाधीशगणों, प्रशासन स्तर की बैठके, बैंक शाखा प्रबंधकों, बीएसएनएल विभाग, नगर पालिका, विद्युत विभाग, अध्यक्ष अधिवक्ता संघ एवं अन्य समस्त न्यायाधीशगण तथा प्रतिदिन बीमा कंपनी व क्लेमेंट अधिवक्ताओं के साथ न्यायाधीशगणों की उपस्थिति में प्रीसिटिंगों का आयोजन किया जा रहा है।
एक प्रश्न के उत्तर में न्यायाधीश एवं विधिक आयोग के अध्यक्ष श्री प्राण ने कहा लोक अदालत के मामले अधिकतर पारिवारिक होने के कारण अत्यधिक संवेदनशील होते है। इनके बारे में पूर्व से मीडिया को सूचना देना अथवा समझौते तथा निर्णय के बाद सूचना देना भी असमंजस भरा होता है। पारिवारिक मामलों में हुए निर्णय को परिवार वाले स्वयं सामाजिक स्तर पर किसी को बताना नहीं चाहते।
आमजन के लिए हो सहज माहौल
न्यायाधीश श्री प्राण ने कहा कि आमजन और अदालत के बीच एक लंबी दूरी महसूस की जाती रही है। इस दूरी को खत्म करने के लिए जरूरी है कि स्कूली छात्र-छात्राओं को न्यायालय भवन का भ्रमण कराया जाए। यहां की कार्य प्रणाली से वे अवगत हों। कानून और पुलिस जो आम जनता के लिए ही काम करती है और आज जनता से ही दूरी बनाकर रखते है। इनके बीच एक विश्वास और मित्रता का माहौल होना चाहिए। ना जनता जानना चाहती है और ना ही पुलिस और कानून अपने बारे में उन्हें बताना चाहता है। इस भय के वातावरण को समाप्त करना होगा।
दिल और दिमाग
न्यायाधीश श्री प्राण ने कहा लोक अदालतों के माध्यम से लोगों के पारिवारिक झगड़े एवं समस्याओं को अदालत के बाहर ही समझौते के माध्यम से निपटाने का प्रयास किया जाता है। अदालत में निर्णय आंखों से देखने के बाद भी साक्ष्यों पर आधारित होता है। लोक अदालत में निर्णय दिमाग नहीं दिल से किए जाते है। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों में लोगों को चाहिए कि वे अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर अपने प्रकरणों का निराकरण करवायें। 

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