तुलसी पूजन दिवस पर मंदिरों और घरों में गूंजे वैदिक मंत्र, संस्कृति की महक से महका बैतूल
ब्यूरो रिपोर्ट
- तुलसी पूजन दिवस पर मंदिरों और घरों में गूंजे वैदिक मंत्र, संस्कृति की महक से महका बैतूल
- संत आशारामजी बापू की प्रेरणा से जन-जन तक पहुंचा भारतीय संस्कृति का संदेश
बैतूल। भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों को जन-जन तक पहुंचाने और युवाओं को नैतिक पतन व अवसाद से बचाने के उद्देश्य से 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। यह आयोजन श्री योग वेदांत सेवा समिति और मां शारदा सहायता समिति बैतूल के संयुक्त तत्वाधान में हुआ। कार्यक्रम गंज स्थित माता मंदिर और संत श्री आशारामजी बापू के चिखलार आश्रम सहित जिले के विभिन्न मंदिरों, घरों और आश्रमों में आयोजित हुआ।
कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से हुई, जिसमें साधक राजीव रंजन झा, अधिवक्ता संजय पप्पी शुक्ला और प्रत्याशा फाउंडेशन की अध्यक्ष तूलिका पचौरी, शैलेन्द्र बिहारिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। श्री योग वेदांत सेवा समिति बैतूल के संरक्षक राजेश मदान ने तुलसी पूजन दिवस की प्रस्तावना रखी और इसके महत्व पर प्रकाश डाला।
साधक राजीव झा ने कहा कि दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में नशाखोरी, व्यभिचार और आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ जाती हैं। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ने 2014 में तुलसी पूजन दिवस की शुरुआत की। इस पहल के सकारात्मक परिणाम आज देखने को मिल रहे हैं। अधिवक्ता संजय शुक्ला ने कहा कि तुलसी पूजन दिवस अब एक वैश्विक आंदोलन बन चुका है और इससे लोगों में आध्यात्मिक जागृति आई है।
तूलिका पचौरी ने लोगों से अपने घरों में तुलसी का पौधा लगाने और इसके लाभ उठाने का आग्रह किया। शैलेन्द्र बिहारिया ने कहा कि यह आयोजन केवल पूजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी संस्कृति की रक्षा का एक बड़ा संकल्प है। उन्होंने सभी को तुलसी का रोपण, पूजन और सेवन करने की प्रेरणा दी।
साधकों और समाजसेवी संस्थाओं के सदस्यों ने वैदिक मंत्रों के साथ तुलसी जी का तिलक, माल्यार्पण, आरती और परिक्रमा कर पूजन किया। इस दौरान जिलेभर में घरों, मंदिरों और आश्रमों में तुलसी पूजन दिवस के आयोजन हुए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे ट्वीटर और फेसबुक पर भी यह दिवस दिनभर ट्रेंड करता रहा।
आयोजन में राजेश मदान, शैलेन्द्र बिहारिया, पिंकी भाटिया, दीप मालवीय, हिमांशु सोनी, तपिशा पूजा अमझरे, बलवंत मदान, मोहन मदान, भव्या मदान, परसराम मर्सकोले, अनूप मालवीय, किशोरी झरबडे, अलकेश सूर्यवंशी, प्रीतम मरकाम, सुंदरलाल सूर्यवंशी, प्रमिला धोत्रे, सरिता राठौर, सुभाष सिंह ठाकुर, डॉक्टर सागर बंजारे, सतयेंद्र नागले, राजीव पटेल, क्षत्राणि हेमा सिंह चौहान, दर्शना सोलंकी, कृष्णा अमरूते, राकेश आर्य, पंडित बारस्कर, रूकमणि सोनारे और आर्या मालवीय सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में राजेश मदान और शैलेन्द्र बिहारिया ने सभी का आभार व्यक्त किया।