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जरूरतमंद बच्चों की सेवा करके मनाया बिटिया भव्या का जन्मदिवस

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ब्यूरो रिपोर्ट 

(वैदिक रीति से मनाना चाहिए जन्मदिन)
बैतूल। हमें अपने बच्चों का जन्मदिवस सनातन संस्कृति की परंपरा अनुसार जरूरतमंदों की सेवा करते हुए दीप प्रज्ज्वलित कर वैदिक रीति से ही मनाना चाहिए जिससे बच्चों में सेवाभाव और सुसंस्कारों का सिंचन बचपन से ही जाग्रत हों ताकि वें आगे चलकर श्रेष्ठ सेवाभावी नागरिक बन सकें। श्री योग वेदांत सेवा समिति बैतूल के संरक्षक व समाजसेवी राजेश मदान ने बताया कि वें पूज्य सदगुरुदेव संत श्री आशारामजी बापू की सत्प्रेरणा से अपने बच्चों, पारिवारिक सदस्यों व समिति के साधकों का जन्मदिवस इसी तरह जरूरतमंदों की सेवा करते व करवाते हुए ही मनाते हैं। उन्होंने अपनी बिटिया भव्या के जन्मदिवस पर गुरुवार को गंज क्षेत्र के ओझाढाना में जरूरतमंदों को अपनी बिटिया के हाथों से ही भोजन और नमकीन पैकेट वितरित करवाये। इससे बच्चों में सेवाभावना विकसित होती है साथ ही उनमें लेने के बजाय देने की प्रवृत्ति जागृत होती है।

श्री मदान ने बताया कि वें 12 जनवरी को अपने भतीजे धीरज मदान का जन्मदिवस भी इसी तरह मनाएंगे। बच्चों को व्यर्थ खर्च न करते हुए अपना जन्म दिवस भारतीय संस्कृति अनुसार वैदिक रीति से ही मनाना चाहिए जिससे उसका जीवन में सकारात्मक प्रभाव दिखाई दें। जैसे कि यह शरीर जिसका जन्मदिन मनाना है वह पंचभूतों से बना है जिनके अलग- अलग रंग हैं। पृथ्वी का पीला, जल का सफेद, अग्नि का लाल, वायु का हरा व आकाश का नीला। अब थोड़े से चाँवल को हल्दी, कुमकुम आदि उपरोक्त पांच रंग के द्रव से रंग लें। फिर उनसे स्वस्तिक बनाएं और जितने वर्ष पूरे हुए हो मान लो नौ वर्ष हुए तो उतने छोटे दीये स्वस्तिक पर रख दें तथा दसवें वर्ष की शुरुआत के प्रतीक के रूप में एक बड़ा दीया स्वस्तिक के मध्य में रखें और उसे घर के वरिष्ठ या जो भक्तिभाव में आगे है उनसे जलवाएं और मंगल गीत गाकर जन्मदिवस मनाएं एवं दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। अंत में सभी बच्चों को सत्साहित्य वितरित करें।
आयोजित सेवा कार्य के अवसर पर समाजसेवी राजेश मदान के साथ भव्या मदान, मोहन मदान, तुलसी मदान, धीरज मदान एवं दूर्वा टुटेजा सहित अन्य सदस्य मौजूद थे।

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