
ब्यूरो रिपोर्ट
वरिष्ठ विधायक एवं श्री हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि स्वास्थ्य ही जीवन है, और जीवन की रक्षा किसी भी संवेदनशील, जवाबदेह और दूरदर्शी शासन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। सरकारें बहुत सी आती–जाती हैं, घोषणाएँ बहुत होती हैं, लेकिन इतिहास वही याद रखता है जिसने आम आदमी के जीवन में वास्तविक परिवर्तन किया हो। प्रदेशाध्यक्ष श्री खंडेलवाल मध्यप्रदेश विधानसभा विशेष सत्र “विकसित आत्मनिर्भर और समृद्ध मध्यप्रदेश” को संबोधित कर रहे थे।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि वर्ष 2003 में केवल 5 शासकीय मेडिकल कॉलेज थे। चिकित्सा शिक्षा सीमित थी, आधुनिक इलाज कुछ बड़े शहरों तक सिमटा हुआ था और ज़िले–तहसील के नागरिक के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा केवल एक आशा थी। आज मध्यप्रदेश 19 शासकीय और 14 निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ चिकित्सा शिक्षा के एक सशक्त और आत्मनिर्भर स्तंभ पर खड़ा है। चार जिलों में PPP मोड पर मेडिकल कॉलेजों का निर्माण प्रगतिशील है, 9 जिलों में स्थापना की प्रक्रिया निरंतर जारी है तथा 6 जिलों में केंद्र व राज्य मद से मेडिकल कॉलेज स्थापित किए जा रहे हैं। आगामी 2-3 वर्षों में मध्यप्रदेश में 52 मेडिकल कॉलेज होंगे। यह परिवर्तन संयोग नहीं, बल्कि उस स्पष्ट और दूरदर्शी सोच का परिणाम है, जहाँ माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास” का विज़न और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी का प्रशासनिक संकल्प एक दिशा में आगे बढ़ा।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि कभी स्वास्थ्य केवल बजट भाषणों का विषय हुआ करता था, आज मध्यप्रदेश में मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर, सुपर-स्पेशलिटी हॉस्पिटल, मेडिसिटी और शोध संस्थान ज़मीन पर खड़े दिखाई देते हैं। उन्होंने कहा कि इतिहास वही रचते हैं जो समय की मांग पहचानते हैं, जो केवल बोलते हैं, वे भीड़ में खो जाते हैं। श्री खंडेलवाल ने कहा कि सुपर-स्पेशलिटी हॉस्पिटल, स्कूल ऑफ एक्सीलेंस, स्टेट वायरोलॉजी लैब, 5 वायरल डिजीज रिसर्च लैब, 6 मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट — ये केवल भवन नहीं, बल्कि प्रदेश की स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रहरी हैं। कैंसर, हृदय रोग और गंभीर बीमारियों के इलाज हेतु रेडियोथेरेपी, ब्रेकीथेरेपी, ड्यूल-एनर्जी लिनियर एक्सेलेरेटर, कार्डियक कैथ लैब और डे-केयर कैंसर सेंटर जैसी सेवाओं का जिला स्तर तक विस्तार किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मजबूत पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर की कल्पना को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी ने प्रदेश के हर क्षेत्र तक पहुँचाया।
श्री खंडेलवाल ने कहा कि आज प्रदेश में जिला अस्पताल 39 से बढ़कर 55, सिविल अस्पताल 57 से बढ़कर 161, सीएचसी 227 से बढ़कर 348, पीएचसी 1194 से बढ़कर 1442, तथा शहरी डिस्पेंसरी 97 से बढ़कर 313 हो चुकी हैं।प्रदेश के अस्पतालों में 21 हजार से बढ़कर 47 हजार जनरल बेड, 15,500 से अधिक आइसोलेशन बेड, 1,695 ICU बेड, 563 HDU बेड, 62 एसएनसीयू और 200 एनबीएसयू इकाइयों की सशक्त व्यवस्था विकसित की गई है। साथ ही 211 PSA ऑक्सीजन प्लांट, 53 सीटी-स्कैन केंद्र, एमआरआई सेवाएँ, 70 डायलिसिस इकाइयाँ (365 मशीनों सहित) और बोन मैरो ट्रांसप्लांट व अंग प्रत्यारोपण जैसी उन्नत सेवाएँ प्रारंभ की गई हैं। इन ठोस प्रयासों का प्रभाव जीवन में स्पष्ट दिखाई देता है। शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 85 से घटकर 37, मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) 498 से घटकर 142, और कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 3.9 से घटकर 2 तक पहुँच चुकी है। संस्थागत प्रसव की दर 26% से बढ़कर 98% हो जाना इस सफलता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि “आँकड़े जब जीवन की कहानी कहने लगें, तो समझिए शासन सही दिशा में है।”
प्रदेशाध्यक्ष श्री खंडेलवाल ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा में ऐतिहासिक विस्तार हुआ है। सरकारी एमबीबीएस सीटें 760 से बढ़कर 2,850, कुल एमबीबीएस सीटें 5,550, पीजी (एमडी/एमएस) सीटें 140 से बढ़कर 2,862, तथा सुपर-स्पेशलिटी की 93 सीटें उपलब्ध हैं। चिकित्सामहाविद्यालयों में 354 सीनियर रेजिडेंट पदों का सृजन किया गया। इसी का परिणाम है कि प्रदेश WHO मानक (1:1000) से बेहतर — 1 डॉक्टर प्रति 903 जनसंख्या के अनुपात तक पहुँच चुका है। मध्यप्रदेश विश्व के शीर्ष स्वास्थ्य मानकों वाले क्षेत्रों में शामिल हो, सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों की स्वीकृत संख्या 738 से बढ़कर 5,443, चिकित्सकों की संख्या 4,670 से बढ़कर 6,513, नर्सिंग स्टाफ की स्वीकृत संख्या 4,561 से बढ़कर 16,011 और कार्यरत संख्या 12,629 हो चुकी है। इंदौर, भोपाल, जबलपुर, रीवा, ग्वालियर और सागर में सीटी, एमआरआई, लिनियर एक्सेलेरेटर, कार्डियक, न्यूरो और कैंसर सेवाएँ उपलब्ध हैं। आपातकालीन सेवाओं में 256 से बढ़ाकर 1,002 BLS/ALS एम्बुलेंस, 1,059 जननी एम्बुलेंस, पीएम श्री एयर एम्बुलेंस सेवा और निःशुल्क शव-परिवहन सुविधा से शासन की संवेदनशीलता स्पष्ट होती है।
आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत 4.43 करोड़ कार्ड, ₹5,700 करोड़ से अधिक का निःशुल्क उपचार और 34 लाख से अधिक लाभार्थी — यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सुरक्षा योजना है। मातृ-शिशु संजीवन मिशन, स्वस्थ नारी सशक्त परिवार अभियान, अनीमिया मुक्त भारत, TB उन्मूलन, सिकल सेल मिशन, निक्षय मित्र और ई-संजीवनी — इन सभी अभियानों में मध्यप्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त कर यह सिद्ध किया है कि नीति और संवेदना जब साथ चलती हैं, तो परिणाम निश्चित होते हैं। उन्होंने कहा कि दृष्टि स्पष्ट हो तो रास्ते अपने आप बनते हैं।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश ने स्वास्थ्य क्षेत्र में नई पहचान बनाई है। यह केवल विकास नहीं — यह विश्वास है, सुरक्षा है और मानव गरिमा की पुनर्स्थापना है।





