पत्रकार के काम में बांधा डालने पर 50,000 का जुर्माना और 3 साल की जेल,पुलिस को भी हिदायत
ब्यूरो रिपोर्ट
वर्तमान में जद्दोजहत की स्थिति में अपमान का कड़वा घूंट पी कर भी देश और समाज के हित में पत्रकारिता क्व माध्यम से आवाज़ बुलंद करने वाले जांबाज पत्रकारों के लिए ये खबर सुखद जरूर है। हाईकोर्ट ने पत्रकारों के सम्मान को सुरक्षित करने के लिए निर्णय लेते हुए कहा है कि पत्रकार स्वतंत्र है उनके साथ गलत व्यवहार करने वालों पर तुरंत कारवाही होगी।
हाईकोर्ट द्वारा पत्रकार के काम में बांधा डालने वालों पर कठोर कार्रवाई किये जाने की टिप्पणी के बाद अब पीएम और सीएम का भी ऐलान आया है कि पत्रकारों से अभद्रता करने वालों पर 50,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। और पत्रकारों से बदसलूकी करने पर 3 साल की जेल भी हो सकती है।
साथ ही पत्रकार को धमकाने वाले को 24 घंटे केअंदर जेल भेज दिया जाएगा। वहीँ पत्रकारों को धमकी के आरोप में गिरफ्तार लोगों को आसानी से जमानत भी नहीं मिलेगी।
हाईकोर्ट से प्रशासन से कहा है की पत्रकारों को परेशानी होने पर तुरंत संपर्क कर सहायता प्रदान करें। पत्रकारों से मान सम्मान से बात करें वरना आपको महंगा पड़ेगा। वही बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी FIR दर्ज होगी।
FIR नहीं तो एसएसपी पर कार्रवाई होगी। पत्रकार भीड़ का हिस्सा नहीं है। पत्रकार के साथ बढ़ती ज्यानती और पुलिस के अनुचित व्यवहार के चलते कई बार पत्रकार आजादी के साथ अपना काम नहीं कर पाते हैं।
उसी को ध्यान में रखते हुए भारतीय प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष मार्कण्डेय काटजू ने राज्य सरकारों को चेतावनी देते हुए निर्देश भी दिए थे कि पुलिस आदि पत्रकारों के साथ बदसलूकी ना करें। किसी स्थान पर हिस्सा या बवाल होने की स्थिति में पत्रकारों कोउनके काम करने में पुलिस व्यवधान नहीं पहुंचा सकती पुलिस जैसे भीड़ को हटाती है वैसा व्यवहार पत्रकारों के साथ नहीं कर सकती।
शिकायत मिलने पर पुलिस वालों या अधिकारियों के विरुद्धआपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। काटजू ने कहा कि जिस तरह कोर्ट में एक अधिवक्ता अपने मुवक्किल का हत्या का केस लड़ता है पर वह हत्यारा नहीं हो जाता है ,उसी प्रकार किसी सार्वजनिक स्थान पर पत्रकार अपना काम करते हैं पर वे भीड़ का हिस्सा नहीं होते। इसलिए पत्रकारों को उनके काम से रोकना मीडिया की स्वतंत्रता का हनन करना है।
प्रेस काउंसिल ने निर्देश के कैबिनेट सचिव गृह सचिव सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिवों व गृह सचिवों को इस संबंध में निर्देश भेजा है और उसमें स्पष्ट कहा है कि पत्रकारों के साथ पुलिस या अर्धसैनिक बल की हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
सरकारे यह सुनिश्चित करें कि पत्रकारों के साथ ऐसी कोई कार्रवाई कहीं ना हो। पुलिस की पत्रकारों के साथ की गई हिंसा मीडिया की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन माना जाएगा।
जो संविधान की धारा 19 एक ए मैं दी गई है और इस संविधान की धारा के तहत बदसलूकी करने वाले पुलिसकर्मी या अधिकारी पर आपराधिक मामला दर्ज होगा