डिजिटल न्याय की दिशा में बड़ा कदम: मोटर दुर्घटना दावा प्रकरणों के लिए पोर्टल का किया शुभारंभ
भारती भूमरकर
21 सितंबर को मोटर दुर्घटना दावा मामलों की ई-फाइलिंग, ऑनलाइन प्रगति, ट्रैकिंग और मुआवजा वितरण की पारदर्शिता की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा आयोजित समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष, नालसा न्यायमूर्ति सूर्यकांत द्वारा ऑनलाइन डैशबोर्ड फॉर क्लेमेन्ट रीइम्बर्समेंट एव डिपॉजित सिस्टम तथा एमएसी पोर्टल मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल पोर्टल का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति श्री जे.के. माहेश्वरी, न्यायमूर्ति श्री आलोक अराधे एवं मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री संजीव सचदेवा, अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन, न्यायमूर्ति विवेक रूसिया, न्यायमूर्ति आनंद पाठक द्वारा अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत द्वारा शुभारंभ अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि न्याय तक पहुंच केवल संवैधानिक दायित्व नहीं है, बल्कि मानवीय कर्तव्य भी है। एमएसीटी पोर्टल और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार तैयार किया जा रहा डैशबोर्ड, यह दोनों मिलकर दुर्घटना पीड़ितों को समयबद्ध और पारदर्शी राहत उपलब्ध कराएंगें। इस शुभारंभ कार्यक्रम का ऑनलाइन प्रसारण किया गया था, जिसे मध्य प्रदेश के सभी जिलों और तहसीलों की अदालतों में न्यायाधीशों द्वारा देखा और सुना गया। बैतूल में भी इस इस शुभारंभ कार्यक्रम को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्री दिनेश चन्द्र थपलियाल की उपस्थिति में जिला मुख्यालय में पदस्थ सभी न्यायाधीशों के साथ देखा गया।
मोटर दुर्घटना दावा मामलों के लिए प्रारंभ किए गए इस पोर्टल के माध्यम से पीड़ितों और उनके परिजनों को शीघ्र और सरल न्याय उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। सर्वोच्च न्यायालय का आदेश और नया डैशबोर्ड 22 अप्रैल 2025 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुओ मोटो रिट याचिका (सिविल) स. 7/2024 (इन री: कंपनसेशन अमाउंट्स डिपॉजिटेड विथ मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल एंड लेबर कोर्ट्स) में पारित आदेश के अनुपालन में एक विशेष डैशबोर्ड भी तैयार किया जा रहा है। इस डैशबोर्ड पर मोटर वाहन अधिनियम 1988 तथा कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 के अंतर्गत स्वीकृत मुआवजे की राशि और उससे संबंधित विवरण नियमित रूप से अपलोड होंगे। यह व्यवस्था दावेदारों, अधिवक्ताओं, बीमा कंपनियों और अधिकरणों सहित सभी हितधारकों के लिए उपयोगी होगी।