भोपाल में वयस्क बीसीजी टीकाकरण जारी
ब्यूरो रिपोर्ट
वयस्क बीसीजी टीकाकरण अभियान के तहत भोपाल जिले में 20 हजार से अधिक लोगों को टीके लग चुके हैं। कार्यक्रम के तहत 18 साल से अधिक उम्र के 6 विभिन्न श्रेणी के लोगों को बी सी जी का टीका लगाया जा रहा है। विगत दिनों समाचार पत्रों में बी सी जी टीके लगने के बाद बांह में फफोले पड़ने की खबर प्रकाशित हुई थी। जिससे इस टीके के बारे में भ्रमपूर्ण स्थिति बनी।
इस टीके के लगने के बाद गांठ या फफोले बनना सामान्य प्रतिक्रिया है। टीका लगने के दो से तीन सप्ताह के भीतर गांठ बनती है, जो 21 से 28 दिनों में अपने आप खत्म हो जाती है। ये सभी वैक्सीन की सामान्य प्रतिक्रिया है। इसके लिए कोई दवाई, सिकाई या उपचार की जरूरत नहीं है। गांठ या फफोले देखकर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। टीका लगने के बाद दैनिक क्रियाकलापों में कोई परेशानी नहीं होती है। हितग्राही अपने सभी दैनिक कार्य नहाना – धोना नौकरी – दिहाड़ी पर जाना जारी रख सकते हैं।यह कोई नया टीका नहीं है। यह वैक्सीन 1921 के उपयोग में लाई जा रही है । आज लगभग 100 साल बाद, ये वैक्सीन 180 से अधिक देशों में लगाई जा रही है ।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने बताया कि बीसीजी पूरी तरह सुरक्षित टीका है। इस टीके के सुरक्षित होने का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि जन्म के तत्काल बाद भी बच्चे को यही टीका लगाया जाता है। बच्चों में भी टीका लगने के बाद गांठ पड़ जाती है, जो अपने आप ठीक हो जाती है। बीसीजी का जो टीका वयस्कों को लगाया जा रहा है,वही टीका और वही मात्रा बच्चों को भी लगाई जाती है। यह वैक्सीन बच्चों को टीबी के गंभीर रूपों से बचाती है। वयस्कों में बीसीजी टीके की अतिरिक्त डोज उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर अगले 10 से 15 साल तक इस बीमारी से बचाव कर सकती है।मॉडल स्टडीज के अनुसार टीबी वैक्सीनेशन से हर साल टीबी के प्रकरणों को 17% तक कम किया जा सकता है।
वयस्क टीबी वैक्सीनेशन के लिए 6 विभिन्न श्रेणी के लोगों को सम्मिलित किया गया है। जिसमें ऐसे लोग जिन्हें पिछले 5 सालों में टीबी रही हो, रोगी परिजन जो टीबी रोगी के संपर्क में रहे हो, 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति, धूम्रपान करने वाला व्यक्ति, मधुमेह के मरीज,18 से कम बीएमआई या कुपोषित व्यक्ति शामिल किए गए हैं। टीका लगवाने वालों को कोविन की तर्ज पर टीबी विन पोर्टल से टीकाकरण प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। दुनिया भर में संक्रमण रोगों से होने वाली मौतों में टीबी सबसे ज़्यादा ज़िम्मेदार है। टीबी के बोझ को कम करने के प्रभावी उपायों में से टीका एक ऐसा उपाय है जिससे टीबी के नए मामलों को रोका जा सकता है। डर टीके से नहीं, बीमारी का होना चाहिए। टीके की जानकारी और इसे लगवाने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ता अथवा स्वास्थ्य संस्था से जानकारी ली जा सकती है।