जनकल्याण समिति ने मनाई क्रान्तिज्योति माता सावित्रीबाई फुले की 194वीं जन्मदिवस
ब्यूरो रिपोर्ट
नैनपुर। 3 जनवरी 2025 को मरार समाज धर्मशाला, गायत्री मंदिर मक्के में क्रान्तिज्योति माता सावित्रीबाई फुले जी की 194वीं जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम के मुख्यअतिथि जनकल्याण शिक्षा सेवा एवं विकास समिति मक्के, जिला मंडला के समिति अध्यक्ष श्री मोजेलाल भाँवरें,सचिव श्री संतोष कुमार भाँवरें, कोषाध्यक्ष श्री महेश भाँवरें,मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद जिला मंडला द्वारा चयनित नवांकुर संस्था में कार्यरत कार्यक्रम समन्वयक श्री ईश्वर प्रसाद भाँवरें व ग्राम की महिलाओं द्वारा माता सावित्रीबाई फुले के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ।कार्यक्रम में ग्राम के सामाजिक कार्यकर्ता, महिलाओं व बच्चों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का परिचय समिति सचिव संतोष कुमार भाँवरें ने माता सावित्रीबाई फुले के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जो मनुष्य में ऐसे गुणों का विकास कर सकता है जिससे वह बेहतर नागरिक बनकर अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ-साथ अपने संवैधानिक कर्तव्यों को जानकर और उसका पालन कर हमें वैज्ञानिक व तर्कपूर्ण सोच वाला इंसान बनाता है ताकि अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों से बचा जा सके। लड़के-लड़कियों और स्त्री-पुरुष में भेदभाव ना करें, ऐसी शिक्षा के बारे में जब हम बात करते हैं तो अनायास ही भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले का स्मरण आता है। जिन्होंने आजादी से पहले विपरीत और विषम परिस्थितियों में लड़कियों को पढ़ाने का नया कदम उठाया। लड़कियों के लिए शिक्षा का जो द्वार उन्होंने खोला उसी का परिणाम है कि आज हमारी बच्चिया शिक्षित हो रही है पढ़ लिखकर न केवल वे अपना और अपने परिवार का और आने वाली पीढ़ी का जीवन सुधार रही है। साथ ही देश के विकास में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज आवश्यकता इस बात की है कि सावित्रीबाई फुले से प्रेरणा लेते हुए हम अपने बच्चों को उच्च शिक्षित करें और उन्हें सावित्रीबाई फुले की तरह महान समाज सुधार का नेतृत्व करने के लिए प्रेरित करें।
संछिप्त परिचय- देश की प्रथम महिला शिक्षिका, विधवा-विवाह,नारी मुक्ति आंदोलन की प्रणेता,सती प्रथा की विरोधी, कवियत्री, महान समाजसेविका,दलित उत्थान,छुआ-छूत व सामाजिक कुप्रथाओं का अंत करने वाली माता सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव में हुआ था। सावित्रीबाई ने अपने पति महात्मा ज्योतिराव फुले से विवाह पश्चात शिक्षा पाकर दोनों ने मिलकर 40 स्कूलों को खोलकर शिक्षा की मिसाल जलाई। 10 मार्च 1897 को फ्लैग महामारी के दौरान पीड़ितों के सेवा करते उनका निधन हुआ।