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संघ शताब्दी वर्ष पर आमला में निकला पथ संचलन, बच्चों ने बनाई झांकियां

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धनराज साहू तहसील ब्यूरों

संघ शताब्दी वर्ष पर आमला में निकला पथ संचलन, बच्चों ने बनाई झांकियां ।

पथ संचलन का जगह-जगह हुआ स्वागत

 

भैसदेही:- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शनिवार को भैंसदेही ब्लॉक के ग्राम आमला में पथ संचलन निकाला गया। यह पथ संचलन मंगल भवन से शुरू हुआ और गांव के विभिन्न मार्गो से होते हुआ निकला। इस दौरान बच्चों ने झांकियां भी बनाई, जो आकर्षण का केन्द्र रही। कार्यक्रम में अतिथी विश्वनाथ सोनारे समाजसेवी आमला, मनीष नावंगे खंड सह कुटुंब प्रबोधन संयोजक भैंसदेही, धर्मजागरण जिला सह संयोजक गुलाबराव सेलकरी, मंडल प्रभारी कमलेश कावड़कर खंड सह धर्म जागरण प्रमुख भैंसदेही, डाँ इंद्रदेव लिखितकर खंड सह ग्राम विकास संयोजक बासनेरकला, नवनीत खंड प्रचारक वक्ता भैंसदेही मौजूद रहे। इस गरिमामयी आयोजन में सैकड़ों स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में अनुशासन के साथ सहभागिता की। कार्यक्रम के दौरान नवनीत राज मिश्रा ने अपने उद्बोधन मे संघ की स्थापना से लेकर वर्तमान तक की यात्रा पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्ष 1925 में विजयादशमी के दिन डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार जी ने नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की नींव रखी थी। मात्र 15 वर्षों में उन्होंने संघ को पूरे देश में विस्तार दिया। द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी ने अपने 33 वर्षों के कार्यकाल में समाज जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जागरण किया।

बाला साहब देवरस ने समाज की चुनौतियों को पहचाना और समाधान की दिशा में कार्य किया। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह एवं सुदर्शन जी ने संघ की गुणवत्ता और व्यापकता को विस्तार दिया। वर्तमान सरसंघचालक मोहन भागवत के नेतृत्व में संगठनात्मक दृष्टि से समयानुसार बदलाव कर समाज को नई दिशा देने का प्रयास किया गया। उन्होंने कहा कि जिस संगठन की स्थापना पर कभी उपहास और उपेक्षा की गई थी, आज उसी संघ की समाज में स्वीकार्यता और प्रभाव इतना व्यापक हो गया है कि विरोध करने वाले भी आज सहयोगी बन रहे हैं। शताब्दी वर्ष में पंच-परिवर्तन के माध्यम से परम वैभव का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। संघ ने बीते 100 वर्षों में व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र निर्माण के जो कार्य किए हैं, उनका सार सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्वदेशी, पर्यावरण संरक्षण और नागरिक शिष्टाचार जैसे व्यवहारिक मूल्यों में निहित है। कार्यक्रम के समापन पर भारत माता की प्रार्थना की गई, जिसके बाद संचलन निकाला गया। संचलन का भव्य स्वागत माता-बहनों द्वारा पुष्पवर्षा, रंगोली सजाकर एवं शंखध्वनि के साथ किया गया। पथ संचलन मे लगभग 150 से अधिक स्वयं सेवक सहित ग्रामीणो ने भी पथ संचलन मे भाग लिया। आयोजन में उत्सव का माहौल रहा और लोगों ने पूरे हर्षोल्लास के साथ संघ के शताब्दी वर्ष को ऐतिहासिक बनाया।