आशीष कुमार डोंगरदिये पीएचडी उपाधि से सम्मानित ग्राम रिधोरा में व्यसन मुक्ति और कुरीति उन्मूलन आंदोलन की अगुआई
दीनू पवार की रिपोर्ट
मुलताई। श्रीमती चन्द्रलेखा डोंगरदिये और श्री दयालराम डोंगरदिए जी के सुपुत्र चिरंजीव आशीष कुमार देव संस्कृति विश्वविद्यालय, शांतिकुंज हरिद्वार से प्राच्य अध्ययन विभाग के अंतर्गत प्रबंधन विषय में डॉ. उषा जायसवाल के मार्गदर्शन में “पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा स्थापित गायत्री परिवार में प्रबंधन के विविध आयाम : एक विवेचनात्मक अध्ययन” विषय पर पीएचडी उपाधि से सम्मानित किये गये।
आशीष देव संस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज हरिद्वार में ही कार्यरत है तथा उनके प्रयास से ग्राम रिधोरा में व्यसन मुक्ति कुरीति उन्मूलन आंदोलन चलाकर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम सुचारू रुप से संचालित किये जा चुके है.
आपकी प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं हाई स्कूल – प्रज्ञा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, गायत्री शक्तिपीठ, पाथाखेड़ा, जिला – बैतूल, मध्यप्रदेश तथा हायर सेकेण्डरी शिक्षा अशासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, पाथाखेड़ा, जिला – बैतूल, मध्यप्रदेश से सम्पन्न हुई।
बी. कॉम, शासकीय महाविद्यालय, बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय, बागडोना, जिला – बैतूल, मध्यप्रदेश
तथा स्नातकोत्तर – एम. बी. ए., मेडि केप्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एन्ड मैनेजमेंट, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर, मध्यप्रदेश से पूरा किया किया।
आपनेपीएचडी के प्रेरणा स्रोत अपने माताजी एवं पिताजी को माना है। आप
युवाओं को अपने संदेश में कहते हैं कि- अपनी पात्रता का विकास निरंतर करते रहे और प्रतिदिन कुछ नया सीखने का प्रयास करते रहें।
पीएचडी को जीवन में कैसे उपयोग में लायेंगे? पूछने पर आपने कहा कि- पीएचडी के बाद आपके विचार करने का दायरा काफ़ी बढ़ जाता है, अतः अब अपने विद्यार्थियों के लिए एवं समाज के लिए अपने अधिकतम समय को लगाएंगे। आगामी समय में पोस्ट डॉक्टर के लिए यह पीएचडी अत्यंत आवश्यक है।चूंकि प्रबंधन जैसा विषय स्वयं के निर्माण, परिवार निर्माण और समाज निर्माण के लिए प्रेरित करता है इसलिए मैं सदैव ही यह मानता हूँ कि जब हम स्वयं के जीवन,अपने व्यक्तित्व को बेहतर बनाते है, तब आपके समक्ष अनेक अवसर सृजित होने लगते है।