भारत में टूटा 123 साल का रिकॉर्ड, साल 2024 को लेकर IMD का खुलासा; क्या है डरने वाली बात
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जानकारी दी है कि यह साल 1901 के बाद से सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया। बीते साल औसत न्यूनतम तापमान दीर्घकालिक औसत से 0.90 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा।
साल 2024 ने भारत में गर्मी के सभी पिछले रिकॉर्ड तोड़ते हुए इतिहास रच दिया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने जानकारी दी है कि यह साल 1901 के बाद से सबसे गर्म वर्ष के रूप में दर्ज किया गया। औसत न्यूनतम तापमान दीर्घकालिक औसत से 0.90 डिग्री सेल्सियस अधिक रहा, जो 123 साल में पहली बार देखने को मिला है।
गर्मी के आंकड़े और आईएमडी की रिपोर्ट
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि 2024 में पूरे भारत में वार्षिक औसत भूमि सतही वायु तापमान 25.75 डिग्री सेल्सियस रहा, जो दीर्घकालिक औसत (1991-2020) से 0.65 डिग्री सेल्सियस अधिक था। औसत अधिकतम तापमान 31.25 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि औसत न्यूनतम तापमान 20.24 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 2016 को पीछे छोड़ते हुए 2024 अब तक का सबसे गर्म साल बन गया है। 2016 में औसत भूमि सतही वायु तापमान सामान्य से 0.54 डिग्री सेल्सियस अधिक था।
आईएमडी के अनुसार, जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में औसत न्यूनतम तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। फरवरी का औसत न्यूनतम तापमान अब तक के दूसरे सबसे ऊंचे स्तर पर रहा। मृत्युंजय महापात्र ने कहा, “दीर्घकालिक डेटा से पता चलता है कि देश के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान में वृद्धि का रुझान है, खासतौर से मानसून के बाद और सर्दियों के मौसम में।”
वहीं यूरोपीय जलवायु एजेंसी ‘कोपरनिकस’ के अनुसार, 2024 वैश्विक स्तर पर भी सबसे गर्म वर्ष साबित हुआ। यह पहला मौका है जब वैश्विक औसत तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर (1850-1900) से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक पहुंच गया। साल भर में जून 2024 ने पहली बार इस सीमा को पार किया, और यह प्रवृत्ति जुलाई को छोड़कर साल के बाकी महीनों में जारी रही। पेरिस समझौते के तहत, 1.5 डिग्री सीमा का स्थायी उल्लंघन 20-30 साल की निरंतर गर्मी को दर्शाता है।
ग्लोबल वार्मिंग का खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया अब एक ऐसे चरण में प्रवेश कर रही है जहां तापमान लगातार खतरनाक स्तरों तक पहुंच सकता है। जलवायु वैज्ञानिकों के दो स्वतंत्र समूहों, वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन और क्लाइमेट सेंट्रल के अनुसार, 2024 में विश्व ने 41 अतिरिक्त खतरनाक गर्म दिनों का अनुभव किया। आईएमडी ने यह भी बताया कि ठंडे सर्दियों के लिए कारक ला नीना की स्थिति जनवरी 2024 में विकसित हो सकती है, लेकिन इसका असर गर्मी के बढ़ते रुझान पर नगण्य होगा।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों जैसे कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन की तेजी से बढ़ोतरी के कारण वैश्विक औसत तापमान पहले ही 1.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। यह न केवल पर्यावरण के लिए, बल्कि मानव जीवन और खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा है। 2024 के रिकॉर्ड ने स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन अब केवल एक चेतावनी नहीं, बल्कि सच्चाई बन चुका है।