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संत आशारामजी बापू को 6 माह की अंतरिम जमानत पर झूमे साधक

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ब्यूरो रिपोर्ट

संत आशारामजी बापू को 6 माह की अंतरिम जमानत पर झूमे साधक
सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुआ आसाराम बापू केस एक्सपोज्ड क्यू आर कोड स्कैन कर वीडियो देखें 

बैतूल। 29 अक्टूबर 2025 को न्यायालय द्वारा संत आशारामजी बापू को 6 महीने की अंतरिम जमानत दिए जाने और पुलिस कस्टडी हटाए जाने के बाद पूरे देश में उनके अनुयायियों में उत्साह का माहौल बना हुआ है। श्री योग वेदांत सेवा समिति बैतूल के संरक्षक राजेश मदान ने बताया कि बैतूल, छिंदवाड़ा, इंदौर, नागपुर, अहमदाबाद सहित देशभर के आश्रमों और समितियों में मिठाई बांटी गई, पटाखे फोड़े गए और भंडारा आयोजित किया गया। चीखलार, सारणी और मुलताई आश्रमों में साधकों ने दीपावली और होली का त्योहार एक साथ मनाया।
पूर्व डीसीपी जोधपुर अजय पाल लाम्बा का 2013 का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें उन्होंने कहा था कि बापूजी पर 376 का केस ही नहीं है। इस वीडियो के बाद आम जनता में यह सवाल उठने लगा कि जब दुराचार का मामला था ही नहीं, तो मीडिया ट्रायल के आधार पर एक निर्दोष संत को 12 साल तक जेल में क्यों रखा गया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर आसाराम बापू केस एक्सपोज्ड शीर्षक से वीडियो दिनभर ट्रेंड करता रहा, जिसमें देशभर के लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी। कई यूजर्स ने कहा कि उन्होंने बापूजी को गलत समझा था और अब सच्चाई सामने आने के बाद उन्हें आत्मग्लानि हो रही है।
विभिन्न धर्मों के अनुयायियों ने भी न्याय व्यवस्था की आलोचना की और कहा कि निर्दोष लोगों को फंसाने की प्रवृत्ति पर रोक लगनी चाहिए। भगवा क्रांति सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर साध्वी प्राची, आचार्य श्री कौशिक जी महाराज, श्री श्री 1008 स्वामी जनमेजय शरण महाराज, महामंडलेश्वर नागेंद्र ब्रह्मचारी जी, स्वामी प्रेमानंद जी महाराज, हेमंत कश्यप महाराज, देवकीनंदन जी ठाकुर, हिन्दू राष्ट्र सेना के अध्यक्ष धनंजय देसाई सहित अनेक संतों ने पहले भी संत आशारामजी बापू के समर्थन में अपना मत रखा था।
संस्था के संरक्षक राजेश मदान ने बताया कि उन्होंने एक क्यूआर कोड जारी किया है, जिससे आम जनता आसाराम बापू केस एक्सपोज्ड वीडियो देखकर पूरी सच्चाई जान सकती है। उन्होंने कहा कि यह विषय अब एक संत का नहीं, पूरे देश की न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता से जुड़ा है। जनता चाहती है कि निर्दोष संत आशारामजी बापू को शीघ्र पूर्ण रिहाई दी जाए ताकि भविष्य में किसी के साथ ऐसा अन्याय न हो।