
ब्यूरो रिपोर्ट
जिले में 125 दिवसीय सिकल सेल एनीमिया स्क्रीनिंग और जागरूकता अभियान में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर जबलपुर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनोज हुरमाड़े और नोडल अधिकारी डॉ. अंकिता सीते को प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। इस दौरान के केंद्रीय राज्यमंत्री जनजातीय मामले श्री दुर्गादास उईके, प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक श्री हेमन्त खंडेलवाल सहित अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहें। राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सिकल सेल एनीमिया अभियान पर केन्द्रित लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया।
सीएमएचओ डा.मनोज हुरमाडे ने बताया की जनजातीय बहुल बैतूल जिले में सिकल सेल नियंत्रण के लिए कलेक्टर श्री नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री अक्षत के मार्गदर्शन में “सिकल मित्र” नामक नवाचार शुरू किया गया। इस पहल के तहत युवाओं, शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और विद्यार्थियों को विशेष प्रशिक्षण देकर सिकल सेल रोग की पहचान, स्क्रीनिंग प्रक्रिया, जेनेटिक काउंसलिंग और प्रारंभिक परामर्श की जानकारी दी गई।
अ भियान के दौरान स्कूलों और महाविद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम, पोस्टर प्रतियोगिताएँ, रैलियाँ और शिविर आयोजित किए गए, जबकि डिजिटल माध्यमों — सोशल मीडिया, व्हॉट्सऐप और रेडियो के जरिए समुदाय तक महत्वपूर्ण जानकारी लगातार पहुंचाई गई।
नोडल सिकल सेल डॉ अंकिता सिते ने बताया कि सिकल मित्रों ने स्वास्थ्य विभाग के शिविरों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए ग्रामीणों को परीक्षण केंद्रों से जोड़ने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन प्रयासों का परिणाम यह रहा कि केवल 125 दिनों में 1,47,849 लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग की गई, जिसमें 248 सिकल सेल रोगी और 1,258 सिकल सेल वाहक चिन्हित हुए। इस असाधारण प्रयास ने बेतूल को पूरे प्रदेश में दूसरा स्थान दिलाया है।
बैतूल में बनी सिकलसेल एनीमिया पर शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री का किया प्रसारण
बेतूल में बनाई गई सिकल सेल एनीमिया पर शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री को जबलपुर में आयोजित 150वीं बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित जनजातीय गौरव दिवस पर प्रसारण किया गया। डॉ अंकिता सिते ने बताया कि फ़िल्म का मुख्य संदेश “शादी से पहले कुंडली नहीं, पहले अपना सिकल सेल स्टेटस कार्ड बनवाएँ।” हैं यह डॉक्यूमेंट्री सिर्फ बीमारी नहीं बताती बल्कि जेनेटिक काउंसलिंग का महत्व, आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी और एक टेस्ट की बदलती ताकत भी दिखाती है। बैतूल से निकला यह संदेश… अब पूरे प्रदेश में जागरूकता की नई राह बना रहा है।




