जिस प्रकार नाव नदी के दोनों किनारों को जोड़ने का काम करती है, वैसे ही प्रशिक्षित मध्यस्थ, पक्षकारों के मध्य विवाद के कारण आई कटुता को समाप्त करने का कार्य करता है। पक्षकारों के मध्य कटुता दूर करने में मध्यस्थ की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। इस आशय के विचार प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री पई सी गुप्ता ने व्यक्त किए। प्रधान न्यायाधीश श्री गुप्ता मीडिएशन एंड कंसिलेशन प्रोजेक्ट कमेटी सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली (एमसीपीसी) द्वारा मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ग्वालियर के संयुक्त तत्वावधान में अधिवक्ताओं के लिए आयोजित हुए 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
प्रधान जिला न्यायाधीश श्री गुप्ता ने कहा कि वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली के अंतर्गत मध्यस्थता से मामलों के निराकरण में अपना सकारात्मक सहयोग प्रदान करके इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी गई शिक्षा को सभी अधिवक्ता सदैव याद रखेंगे।
इस अवसर पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्री नितिन मुजाल्दा, जिला रजिस्ट्रार श्री वरूण शर्मा, एमसीपीसी ट्रेनर श्री शाहिद मोहम्मद, श्री राजेश दास, श्रीमती नीना खरे,प्रशिक्षु व्यवहार न्यायाधीश सुश्री अश्विनी गहलोत, श्री विवेक शर्मा, श्री राहुल त्रिपाठी, जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री दीपक शर्मा,सहित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारी उपस्थित रहे।प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्वालियर, भिण्ड, मुरैना, श्योपुर, शिवपुरी,गुना, अशोकनगर, दतिया एवं टीकमगढ़ न्यायिक जिले की तहसील भितरवार, लहार, गोहद, अंबाह, जोरा, सबलगढ़, विजयपुर, पिछोर, करैरा, कोलारस, खनियांधाना, चाचौड़ा, राधौगढ़, आरोन, चंदेरी, मुंगावली, सेवढ़ा, ओरक्षा, निवाड़ी, जतारा के 50 मध्यस्थों को 40 घंटे का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।