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थानो में भारतीय न्याय साहिता के सम्बंध में दी नगर के गणमान्य नागरिको को जानकारी

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विशाल भौरासे की रिपोर्ट 

थानो में भारतीय न्याय साहिता के सम्बंध में दी नगर के गणमान्य नागरिको को जानकारी
नए कानून का हुआ भव्यता से स्वागत

बैतूल।अंग्रेजो के थोपे कानून से भारतीयों को 2023 मे मिली आजदी हुए नागरिक। अब भारत में चलेंगे भरता का विधान दण्ड साहिता को हटा कर। न्याय साहिता कानून का होगा पालन बता दे की बैतूल के गंज थाने भारतीय न्याय सहिता कानून की विस्तृत जानकारी देते हुए सहायक पुलिस अधीक्षक कमला जोसी ने बताया कि नया कानून भारतीय न्याय संहिता (BNS) में कुल 358 धाराएं हैं. पहले आईपीसी में 511 धाराएं थीं. BNS में 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं।
नए कानून में E fir का प्रावधान है अब घर बैठे भी दर्ज की जा सकेगी एफआईआर
इतना ही नही नए कानून के अंतर्गत अब गवाहो के बयान भी रिकार्ड किए जायेगे।
18वर्ष से कम उम्र की युवती के साथ गैंगरेप करने वालो को मृत्यु दंड का प्रावधान भी सामिल किया गया है।

कोतवाली थाना प्रभारी देवकरण देहेरिया ने बताया कि भारत की 150 वर्ष पुरानी आपराधिक न्याय प्रणाली पहली बार प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीयता, भारतीय संविधान और आम जनता के हित की परवाह करने वाली व्यवस्था के रूप में लागू होने जा रही है। नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराधों में त्वरित न्याय और तुरंत दंड मिलने की सुदृढ़ व्यवस्था है।

नागरिकों में कानून व्यवस्था के प्रति विश्वास, अपराध पर नियंत्रण और स्वस्थ एवं समतामूलक समाज का निर्माण नयी न्याय प्रणाली एवं नये कानूनों का ध्येय है। अब भारत के नागरिकों के लिए भारत की न्याय व्यवस्था लागू होगी।

इस सम्बंध में थाना प्रभारी रविकांत डेहेरियां ने भी कानून के सम्बंध में जानकारी दी।हुए बताया की
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में आईपीसी के अधिकांश अपराधों को बरकरार रखा गया है। इसमें सामुदायिक सेवा को भी सज़ा के रूप में शामिल किया गया है।

राजद्रोह अब अपराध नहीं रहा। इसके बजाय, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों के लिए एक नया अपराध बनाया गया है।

बीएनएस ने आतंकवाद को अपराध की श्रेणी में शामिल किया है। इसे ऐसे कृत्य के रूप में परिभाषित किया गया है जिसका उद्देश्य देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा को ख़तरा पहुंचाना, आम जनता को डराना या सार्वजनिक व्यवस्था को बिगाड़ना है ।

संगठित अपराध को अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। इसमें अपहरण, जबरन वसूली और साइबर अपराध जैसे अपराध शामिल हैं जो किसी अपराध सिंडिकेट की ओर से किए जाते हैं। छोटे-मोटे संगठित अपराध भी अब अपराध की श्रेणी में आ गए हैं।

जाति, भाषा या व्यक्तिगत विश्वास जैसे कुछ पहचान चिह्नों के आधार पर पांच या अधिक व्यक्तियों के समूह द्वारा हत्या करना अपराध माना जाएगा, जिसके लिए सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है।

इस बीच यातायात व्यवस्था के सम्बंध में भी यातायात प्रभारी गजेंद्र केन ने भी जानकारी दी।