वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण से संभावित स्वस्थ्य समस्याओं के संबंध में एडवाइजरी जारी
नीता वराठे
बैतूल 28 अक्टूबर,2024/भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा वायु प्रदूषण के संबंध जारी की गई हेल्थ एडवाईजरी के संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी बैतूल डॉ रविकांत उइके ने बताया कि वायु प्रदूषण के अल्पकालीन उच्चस्तरीय एक्पोजर से आंख, कान, गला एवं त्वचा में जलन/खराश, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, छाती में दबाव या दर्द होना, सिर दर्द, चक्कर आना, हाथ-पैरो में शिथिलता जैसे लक्षण होना संभव है। साथ ही वायु के दीर्घकालीन एक्पोजर से श्वसन तंत्र/हृदय रोग, फैफड़ों का कैंसर तथा असामयिक मौत होना संभावित है।
अत्याधिक आतिशबाजी ध्वनि प्रदूषण एवं तेज पटाखों के उपयोग से कानों में घंटी बजना, तेज आवास सुनाई देना, विकृत आवाज/ध्यनि सुनाई देना जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। जनसमुदाय के लिए सलाह दी जाती है कि शीतकाल में बहुत सुबह एवं देर रात को शारीरिक व्यायाम जैसे, दौडना, जॉगिंग करना आदि से बचे, घर के अंदर लकड़ी, कोयला, गोबर के कंडे, कैरोसिन का उपयोग भोजन पकाने के लिए नहीं किया जाए।
इसके लिए प्रदूषण रहित गैस अथवा विद्युत चलित स्टॉव का उपयोग किया जाये। घर को गरम करने के लिये लकड़ी अथवा कोयले वाली अंगीठियो का उपयोग नहीं किया जाये, क्योंकि कार्बन मोनोआक्साइड के अधिक निर्माण से यह जानलेवा हो सकता है। घर के बाहर लकड़ी, पत्ते, फसल अवशेष, कूड़ा, प्लास्टिक की पन्नी आदि को नहीं जलाया जाये। बंद कमरों में अगरवत्ती, मच्छर भगाने वाली क्वाइल आदि को जलाने से बचा जाए। आंखों की स्वच्छता के लिए नेत्रों को बार-बार साफ पानी से धोना चाहिये, कुनकुने पानी से गार्गल द्वारा गले की खुश्की, खराश आदि में आराम मिलता है। भोजन में संतुलन आहार, ताजे फल सब्जियों एवं स्वच्छ पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिये। सांस की कठिनाई, चक्कर, खांसी, छाती में बेचेनी/दबाव / दर्द या आंखों में जलन, आंसू आना या लाल होने जैसे लक्षण होने पर तुरंत अपने निकट के चिकित्सक से उचित परामर्श प्राप्त करना चाहिये। तेज ध्वनि वाले आतिशबाजी का उपयोग करने से बचा जाए।