विद्युत उपभोक्ता एसोसिएशन ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ दिया विद्युत मंडल को कानूनी नोटिस

ब्यूरो रिपोर्ट
*विद्युत उपभोक्ता एसोसिएशन ने स्मार्ट मीटर के खिलाफ दिया विद्युत मंडल को कानूनी नोटिस*
जबरिया स्मार्ट मीटर थोपना गैर कानूनी, असंवैधानिक, अनैतिक, अनुचित व्यापार प्रथा, उपभोक्ताओं की सेहत से खिलबाड़ कारक_ पुष्पराग
कानूनी नोटिस
रजिस्टर्ड AD / स्पीड पोस्ट द्वारा
संदर्भ संख्या : …/2025
दिनांक : 18 नवम्बर, 2025
विद्युत उपभोक्ता एसोसिएशन द्वारा_ राकेश मिश्रा, गुना
_____ सूचनाकर्ता
V/s
1. प्रबंध निदेशक
म. प्र. म. क्षे. वि. वि. कंपनी , स्टेशन रोड गुना म. प्र.
2. कनिष्ठ अभियंता
म. प्र. म. क्षे. वि. वि. कंपनी , स्टेशन रोड गुना म. प्र.
_____ सूचनाग्रहीतागण
विषय : स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से स्पष्ट इनकार एवं जबरन लगाने या बिजली काटने की धमकी पर कानूनी आपत्ति तथा तत्काल रोक बावत।
मान्यवर,
मेरे पक्षकार सूचनाकर्ता के निर्देश एवं अधिकृत प्रतिनिधि के रूप में मैं आपको निम्नलिखित कानूनी नोटिस भेज रहा हूँ:
1. यहकी मेरे पक्षकार पिछले अनेक वर्षों से आपकी कंपनी के पोस्ट-पेड बिजली कनेक्शन के उपभोक्ता हैं और सभी बिल समय पर जमा करते रहे हैं।
2. यहकी आपके विभाग द्वारा अब मौजूदा कार्यशील इलेक्ट्रो-मैकेनिकल/पोस्ट-पेड मीटर को जबरन हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने व इनकार करने पर बिजली कनेक्शन काटने की धमकी दी जा रही है।
3. यहकी यह कार्यपूर्ण रूप से अवैध, असंवैधानिक एवं न्यायिक आदेशों का उल्लंघन है। जिसके कारण निम्न हैं:
क. विद्युत अधिनियम, 2003 का स्पष्ट उल्लंघन
धारा 55(1) के प्रावधानों के अनुसार स्मार्ट/प्रीपेड मीटर केवल उपभोक्ता की लिखित सहमति से या नए कनेक्शन के मामले में ही लगाया जा सकता है। कार्यशील पुराने मीटर को बिना सहमति बदलना गैर-कानूनी है। स्मार्ट मीटर से इनकार करने पर धारा 56(1) के तहत बिजली काटना इसका दुरुपयोग है। सर्वोच्च न्यायालय ने M/s Southern Electricity vs. M. Ramakrishna (2017) 3 SCC 525 में स्पष्ट कहा है कि धारा 56(1) का उपयोग केवल बकाया वसूली के लिए ही हो सकता है, किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं।
ख. निजता के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21) का उल्लंघन
स्मार्ट मीटर हर 15-30 मिनट में बिजली खपत का डेटा रिकॉर्ड कर सर्वर पर भेजता है, जिससे घर के अंदर की निजी जिंदगी का पता चलता है। बिना लिखित सहमति के यह निगरानी सर्वोच्च न्यायालय के K.S. Puttaswamy (Privacy) मामले (2017) 10 SCC 1 के विरुद्ध है।
ग. उच्च न्यायालयों के बंधनकारी आदेश (2023-2025)
निम्न उच्च न्यायालयों ने स्पष्ट आदेश दिया है कि स्मार्ट मीटर जबरन नहीं थोपा जा सकता और इनकार करने पर बिजली नहीं काटी जा सकती:
बंबई उच्च न्यायालय – WP 14711/2022 एवं अन्य (आदेश दिनांक 20.02.2023 एवं 08.05.2024)
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय – CWP-15224-2023 (12.01.2024)
राजस्थान उच्च न्यायालय – SBCWP 16438/2023 (03.09.2024)
इलाहाबाद उच्च न्यायालय – PIL 242/2024 (15.10.2024)
गुजरात उच्च न्यायालय – SCA 1842/2024 (22.08.2024)
सभी आदेशों में एकमत: “No Coercion, No Disconnection for refusal of smart meter”
घ. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 का उल्लंघन
जबरन प्रीपेड थोपना धारा 2(47) के अंतर्गत “अनुचित व्यापार प्रथा” है।
उपभोक्ता को सेवा चुनने का अधिकार धारा 2(9) में है।
ङ. स्वास्थ्य जोखिम
स्मार्ट मीटर से निकलने वाला RF रेडिएशन WHO द्वारा Class 2B (संभावित कैंसरजनक) घोषित है। मेरे मुवक्किल स्वास्थ्य कारणों से भी इनकार करते हैं।
मांग
उपरोक्त के आधार पर मेरा पक्षकार स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगवाने से स्पष्ट रूप से इनकार करता है। आप तत्काल जबरदस्ती एवं बिजली काटने की सभी धमकियाँ देना बंद करें। मौजूदा मीटर से ही बिलिंग जारी रखें। स्मार्ट मीटर से संबंधित किसी भी आधार पर बिजली काटने से पूर्णतः परहेज करें। यदि आप बिजली काटते हैं या जबरन मीटर बदलते हैं तो मेरे पक्षकार को निम्न कानूनी कार्यवाही करने पर विचार करने को बाध्य होना पड़ेगा जिसके सारे harje खर्चे की जिम्मेदारी आप सूचनग्रहीतगण की होगी।
संबंधित उच्च न्यायालयों में अवमानना याचिका
अनुच्छेद 226 के तहत रिट याचिका
उपभोक्ता फोरम में ₹5-10 लाख तक का क्षतिपूर्ति दावा
IPC की धारा 166, 167 एवं विद्युत अधिनियम के अंतर्गत आपराधिक शिकायत
RTI एवं CVC/CBI में शिकायत
सारा खर्च एवं परिणाम आपके ऊपर होगा।
यह नोटिस अंतिम अवसर है। 7 दिनों के अंदर लिखित आश्वासन/ जवाब दें, अन्यथा बिना आगे सूचना के कानूनी कार्यवाही शुरू की जाएगी।
धन्यवाद।
भवदीय,
डॉ. पुष्पराग शर्मा एडवोकेट
अधिवक्ता
प्रतिलिपि प्रेषित (रजिस्टर्ड पोस्ट से):
_ अध्यक्ष, [राज्य विद्युत नियामक आयोग
– केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, नई दिल्ली
_ विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार