दुष्यंत और दुस्साहस का कॉकटैल है एक कंठ विषपायी जिले के मंचीय ईतिहास में साबित होगा मील का पत्थर
नीता वराठे
बैतूल। जनता के शायर दुष्यंत कुमार की समसामयिक रचना एक कंठ विषपायी में दक्ष के यज्ञ में सती की आहुति की करुंणा से प्रेम प्रतिशोध और प्रशासन की स्थिति को शासन की मंशा के साथ दर्शकों के सामने प्रस्तुत करना बड़े दुस्साहस का काम है रविवार को जयवंती हाक्सर महाविद्यालय के अटल सभागार में हुए इस रंगमंच की प्रस्तुति जिले के मंचीय इतिहास में अभूतपूर्व है विशिष्ट हिंदी से संवादो का संप्रेषण इस असंभव लगने वाले नाटक को संभव कर देता है जिसके लिए नाटक का हर पात्र इसके लिए कई महिनो की मेहनत बताते हैं हर बार की तरह इस बार भी जिले के प्रख्यात निर्देशक शिरिष सोनी दर्शकों की उम्मीद पर खरे उतरे हैं रविवार को पहले शो में दर्शकों मैं जिस तरह से उत्सुकता नजर आई है उसे देखते हुए आज मंगलवार को भी रंग मंच के प्रेमी नाटक को देख सकते हैं सतयुग के साथ-साथ समसामयिक शासन व्यवस्था पर केन्द्रीत नाटक में लेखक और निर्देशन से अंत तक दर्शकों को बांधे रखा है।
(संभावनाओं से परे शिरीष
एक कंठ विषपायी नाटक की हिंदी विशिष्ट है सतयुग और समसामयिक मुद्दे हैं इसे मंच पर प्रस्तुत करना प्रथम दृष्टि में असंभव सा प्रतीत होता है लेकिन जिले के प्रख्यात निर्देशक शिरीष सोनी संभावनाओं से परे हैं अभूतपूर्व मंचन मैं सभी अभिनेताओं का काम बोलता है नाटक के निर्देशन से लेकर सेट की डिजाइन और मेकअप में भी इस बार शिरिष सोनी का हरफन मौला वाला किरदार सामने आया है दुष्यंत जी की दृष्टि को निर्देशक अभिनय के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाने का काम बेहतरीन तरीके से किया है।
इनके अभिनय से साकार हुआ सतयुग
नाटक एक कंठ विषपायी सतयुग की एक घटना से लेकर वर्तमान के जन आक्रोश को जोड़ता है जिसे मंच पर अपने अपने अभिनय से अमित कसेरा, रतनमाला खातरकर, रामकिशोर साहू, नीरज कुंभारे, जय खातरकर, राजकुमार साहू, सत्येंद्र चौहान, राकेश गावंडे, दुर्गा प्रसाद मोरले, साहिल खान और शिरिष सोनी ने जीवंत किया मंच से परे संगीत बृज वानखेड़े, स्वप्निल जोशफ ने दिया प्रकाश व ध्वनि की व्यवस्था बालवीर रजक ने की।