scn news india

मध्य प्रदेश का यूनिक और इनोवेटिव डिजिटल मीडिया

Betul

भारतीय बौद्ध महासभा ने की बोधगया महाविहार को बौद्धों को सौंपने की मांग

Scn News India

ब्यूरो रिपोर्ट 

  • बोधगया महाविहार को बौद्धों को सौंपने की मांग
  • भारतीय बौद्ध महासभा ने जिला प्रशासन को सौंपा ज्ञापन, 
  • महाबोधी टेंपल एक्ट रद्द करने की मांग
बैतूल। बोधगया महाविहार को बौद्धों को सौंपने तथा महाबोधी टेंपल एक्ट रद्द करने की मांग को लेकर भारतीय बौद्ध महासभा ने सोमवार को राष्ट्रपति के नाम जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा है। भारतीय बौद्ध महासभा के जिला अध्यक्ष संदीप पाटिल ने बताया कि जहां पर शाक्य मुनि बुद्ध को संबोधि प्राप्त हुई उस पवित्र जगह पर ब्राहमणों द्वारा कब्जा करना यह अत्यंत पीड़ादायक बात है। महाबोधि महाबिहार का इतिहास 2500 साल पुराना है। यहीं भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। सम्राट अशोक ने इस महाबिहार का निर्माण करवाया था। यह स्थल विश्व की प्रमुख धार्मिक धरोहरों में से एक है। उन्होंने बताया कि महाबोधि टेंपल एक्ट 1949 बौद्धों द्वारा नहीं बनाया गया। यह महाविहार पर अनुचित नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास है। उन्होंने इस एक्ट को रद्द कर नया कानून बनाने की मांग की है, जिसमें सभी सदस्य बौद्ध धर्म के अनुयायी हों। महाविहार परिसर में शिवलिंग की स्थापना और दीवारों पर पांडवों का उल्लेख विवाद का विषय बना हुआ है। 1895 के अनागरिक धम्मपाल बनाम महंत केस के निर्णय में यह स्पष्ट किया गया था कि महाबोधि महाविहार बौद्धों की विश्व धरोहर है। फाह्यान और व्हेनसांग के यात्रा वृतांत और महाविहार की उत्खनन रिपोर्ट भी इसकी पुष्टि करते हैं। ज्ञापन में महंत की कोठी में रखी सैकड़ों बुद्ध प्रतिमाओं, शिलालेखों और अभिलेखों को एएसआई के बोधगया संग्रहालय को सौंपने की मांग की गई है। साथ ही, परिसर के आसपास लाउडस्पीकर के दुरुपयोग पर रोक और सम्राट अशोक के महल की खोज की मांग भी की गई है। इस अवसर पर  राजेश भूमरकर, शिवकिशोर पाटिल, जेआर सूर्यवंशी,  पी टी भूमरकर, वृन्दा नागले, पूर्णिमा भूमरकर, रामराव अतुलकर, कमलेश उबनारे, तुकाराम लोखंडे, गुलाबराव सरनेकर सहित अन्य मौजूद रहे।
GTM Kit Event Inspector: