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लाठी स्पर्धा में बैतूल से 16 खिलाड़ी 4 अगस्त को भूटान में दिखाएंगे अपना जौहर

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विशाल भौरासे की रिपोर्ट 

बैतूल ।हरिद्वार में आयोजित नेशनल स्पर्धा में प्रदेश के शहडोल नर्मदा पुरम ग्वालियर उज्जैन आगरा हरदा और बैतूल सहित महाराष्ट्र पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश असम तमिलनाडु बिहार और राजस्थान से करीब 700 खिलाड़ी शामिल हुए थे इस प्रतियोगिता में साउथ एशियन चैंपियनशिप के लिए जिले से 16 खिलाड़ी चयनित किए गए हैं जिनमें वंशिका बुंदेले गुंजन सृष्टि गावंडे कृतिका राठौर वंशिका माहेश्वरी ऋषिका दुबे चेतना माथनकर रुचि भोंडे पियूष उपाध्याय पार्थ सोनी आर्यन डोंगरे यश सावनेर हर्षित डेहरिया निधि यादव उन्नति डिगरसे शामिल है इन सभी खिलाड़ियों को 4 अगस्त से 6 अगस्त तक भूटान देश की राजधानी थिंपू में अपने खेल लाठी का जौहर दिखाना है। इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए एक खिलाड़ी पर लगभग 20 हजार रुपए का खर्च आ रहा है इस हिसाब से 16 बच्चों पर 3 लाख 20 हजार रुपए खर्च होना है लाठी स्पर्धा को राष्ट्रीय खेलों में शामिल हुए काफी कम समय हुआ है लेकिन अभी इस खेल में होने वाले खर्च का प्रावधान खेल एवं युवा कल्याण विभाग में नहीं किया जा सका है जिसके चलते सारे खर्चे खिलाड़ी और उनके परिवारों को उठाना पड़ता है। बैतूल में लाठी खेल को जिंदा रखने वाले विनय विनोद बुंदेले ने बताया कि बैतूल से जिन 16 बच्चों को भूटान में होने वाली लाठी स्पर्धा के लिए चयन किया गया है उनमें से अधिकांश बच्चों की पारिवारिक स्थिति अत्यंत देनी है तथा वह भूटान आने जाने का खर्च उठाने में सक्षम नहीं है विनोद बुंदेले ने आगे बताया कि उनके द्वारा बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल, समाजसेवी प्रमोद अग्रवाल सहित औषधि विक्रेता संघ एवं डॉक्टर यूनियन से इस प्रतियोगिता में चयनित बच्चों को लाने ले जाने के खर्च हेतु निवेदन किया गया है तथा उनका प्रयास यह है कि इस प्रतियोगिता में बैतूल से ज्यादा से ज्यादा बच्चे शामिल हो तथा अपने जिले का नाम रोशन करें।, विनोद बुंदेली लाठी फेडरेशन में शामिल है वह राष्ट्रीय कोच भी है वह बताते हैं की लाठी इंडिया पारंपरिक गेम है हम इसे अक्सर अखाड़े में ही देखा करते थे लेकिन दिल्ली के सतीश चौधरी राजेश चौधरी ने इसके लिए काफी मेहनत की उन्होंने इस खेल का रूप दिया है इस खेल का 56 देश में रजिस्ट्रेशन है अभी यहीं पर 150 बच्चों का ग्रुप बन गया है फेडरेशन इस खेल को ओलंपिक तक लेकर जाना चाहता है लेकिन ओपन खेल होने से खिलाड़ियों को खुद खर्च उठाना पड़ता है इसमें परेशानी आती है लेकिन इन परेशानियों से खिलाड़ियों के हौसले पस्त नहीं हो रहे हैं तथा वह अपने खेल में दिनों दिन सुधार ला रहे हैं ।

 

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