scn news india

मध्य प्रदेश का यूनिक और इनोवेटिव डिजिटल मीडिया

scn news india

गोंड पेंटिंग ने किया विश्वभर के कला पारखियों का ध्यान आकर्षित

Scn News India

मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग को विशिष्ट शैली और अनूठी डिज़ाइन के लिए जी आई टैग मिल चुका है। यह एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार है।

गोंड जनजाति के कलाकार पीढ़ियाँ से इस कला को संजो रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी अपने प्रसिद्ध संवाद कार्यक्रम ‘मन की बात’ में पद्मश्री पुरस्कार विजेता भज्जू श्याम के बारे में चर्चा कर चुके हैं जो इस गोंड चित्रकला के प्रमुख चित्रकार हैं। वे क‍िसी समय जबलपुर में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करते थे। प्रधानमंत्री के शहडोल दौरे के दौरान मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें एक खूबसूरत गोंड पेंटिंग भेंट की थी।

गोंड पेंटिंग एक अप्रतिम कला रूप है जो समय के साथ मानव के प्रकृति के साथ जुड़ाव को प्रदर्श‍ित करता है। सबसे बड़े जनजातीय वर्ग ‘गोंड’ ने इस कला में माहिर हैं और इसका पोषण करते आ रहे हैं। वे जो मुख्य रूप से मध्यप्रदेश में निवास करते हैं।

गोंड कलाकारों की कला उनकी लोक कथाओं, संस्कृति और पारंपरिक कहानियों पर आधारित है। ये सभी गोंड चित्रकला के जीवंत तत्व हैं। गोंड पेंटिंग में खुशियों, रीति-रिवाजों और मनुष्य के प्रकृति के साथ संबंध का चित्रण होता है। यह कला कलाकारों की उच्च स्तरीय कल्पना से जन्म लेती है। मुख्य रूप से बिन्दुओं और रेखाओं का रचनात्मकता के साथ उपयोग कर बनती है।

कलाकारों का मानना है कि अच्छी छवियों से रूबरू होने वाले व्यक्ति के साथ अच्छाई साथ होती है। कलाकार मानते हैं कि भाग्य उनके होता जो अच्छी छवियाँ देखते हैं। इसलिए समुदाय के हित के लिए प्रकृति की खूबसूरती आसपास रहना जरूरी है । गोंड जनजाति के लिए कला केवल व्यावसायिक और सौंदर्य के आनंद तक सीमित नहीं है। उनकी नजर में कला भूतकाल और वर्तमान के बीच गहरा संबंध बनाती है। गोंड कलाकारों का गहरा विश्वास है कि हर बार चित्र बनाना एक आध्यात्मिक उद्यम है और यह अज्ञात सर्वशक्त‍िमान के प्रति प्रार्थना का कार्य है।

गोंड चित्रकला प्रकृति पूजा के साथ सुरक्षा प्राप्त करने और बुराईयों को दूर भगाने का भी माध्यम है। गोंड चित्रकला का आधार यह है कि एक अच्छे चित्र को देखने से भाग्य भी साथ देता है। वे अपने घरों को और आंगन को पारंपरिक टैटू और मोट‍िफ से सजाते हैं। मौसम के बदलाव से जुड़े त्यौहार या रिवाजों के दौरान या परिवार में महत्वपूर्ण अवसर पर जैसे जन्म, विवाह पर चित्र बदलते जाते हैं। चित्रों के मोट‍िफ और विषय स्थानीय वनस्पतियों और जीवजंतुओं, देवताओं और शहरी संस्कृति से आते हैं।

चित्रकला के विषय

मोर, पक्षी, केकड़े, काल्पनिक जानवर, छिपकलियाँ, बाघ, हिरण, सांप, जंगली सूअर, गाय, बंदर, हाथी, घोड़ा और मछली गोंड चित्रकला के प्रमुख विषय हैं। शहरी जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे हवाई जहाज, साइकिल, कार आदि भी उनकी कला के विषय हैं। इसके अलावा पौराणिक कथाएँ, भगवान शिव, भगवान कृष्ण, भगवान गणेश भी विशेष रूप से चित्रित किये जाते हैं। स्थानीय देवियों में फुलवारी देवी, जहरीन देवी, मरही देवी भी विशेष रूप से नजर आती हैं। इन सबके साथ गोंड चित्रकला का मुख्य विषय प्रकृति चित्रण है। कलाकार प्रकृति को विभिन्न तरीकों से कैनवास पर उकेरते हैं। वे मानते हैं कि मनुष्य और प्रकृति एक दूसरे से अलग नहीं है।

शैली

गोंड चित्रकला की शैली अत्यंत वि‍शिष्ट है। छवयों को भरने के लिए एक डिज़ाइन को बार-बार दोहराया जाता है। प्रत्येक कलाकार अपनी स्वयं की शैली विकसित कर लेता है। इस प्रकार अपनी स्वयं की विकसित शैली को “सिग्नेचर पैटर्न” कहा जाता है। ब्रश की जगह टहनियों, कॉटन बाल का उपयोग किया जाता है।

GTM Kit Event Inspector: