बाली का वध कर श्री राम ने सुग्रीव का किया राजतिलक रामलीला में भावपूर्ण प्रसंगों ने दर्शकों को आध्यात्मिक ऊर्जा से किया सराबोर
ब्यूरो रिपोर्ट
बाली का वध कर श्री राम ने सुग्रीव का किया राजतिलक
रामलीला में भावपूर्ण प्रसंगों ने दर्शकों को आध्यात्मिक ऊर्जा से किया सराबोर
बैतूल। श्री कृष्ण पंजाब सेवा समिति के तत्वावधान में गंज रामलीला मैदान में चल रही रामलीला के आठवें दिन रविवार को हनुमान परिचय, सुग्रीव मित्रता और बाली वध जैसे भावपूर्ण प्रसंगों ने दर्शकों को आध्यात्मिक ऊर्जा और रोमांच से भर दिया।
रामलीला का शुभारंभ उस दृश्य से हुआ जब रावण द्वारा माता सीता का हरण कर लेने के बाद भगवान राम और लक्ष्मण उन्हें खोजने हेतु निकले। मार्ग में घायल पड़े जटायु से उन्हें जानकारी मिलती है। इसके पश्चात मार्गदर्शन पाकर वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़ते हैं, जहां वानरराज सुग्रीव अपने कुछ साथियों सहित रह रहे होते हैं।
राजकुमारों को वन में भटकता देख, सुग्रीव को शंका होती है। वे अपने विशेष दूत हनुमान जी को ब्राह्मण रूप में उनके पास भेजते हैं। हनुमान जी जब भगवान राम और लक्ष्मण के पास पहुंचते हैं, तो श्रीराम अपने परम भक्त को पहचान लेते हैं। हनुमान जी भी प्रभु को पहचानकर अपने असली रूप में आ जाते हैं। इसके बाद राम और सुग्रीव के मध्य गाढ़ी मित्रता स्थापित होती है।
सुग्रीव श्रीराम को अपनी व्यथा सुनाते हैं कि किस प्रकार उनके बड़े भाई बाली ने छल से उनका राज्य छीन लिया और उन्हें वनवास में धकेल दिया। भगवान राम उन्हें न्याय दिलाने का वचन देते हैं और अपने वचन के अनुसार बाली का वध कर देते हैं। बाली वध के बाद सुग्रीव का विधिवत राजतिलक किया जाता है और वे श्रीराम को माता सीता की खोज में पूर्ण सहयोग का वचन देते हैं।
इसके पश्चात भगवान राम के निर्देश पर हनुमान जी सहित वानर सेना को माता सीता की खोज में भेजा जाता है। मार्ग में एक देवी उन्हें जानकारी देती हैं कि माता सीता को लंका में रावण द्वारा बंदी बनाकर रखा गया है। हनुमान जी समुद्र पार करके लंका की ओर प्रस्थान करते हैं।
रामलीला मंडल खजूरी।के सभी कलाकारों की संवाद अदायगी, भाव-भंगिमा और पारंपरिक वेशभूषा दर्शकों के लिए एक दिव्य अनुभव बन गई। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि आगामी दिनों में रावण वध और राम राज्याभिषेक जैसे महत्त्वपूर्ण प्रसंगों का मंचन किया जाएगा।
-रामलीला में आज
– लंका दहन
– रामेश्वर स्थापना
– अंगद-रावण संवाद