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सतपुड़ा प्लांट में कार्यरत श्रमिकों के शोषण के मामले में उच्च न्यायालय जबलपुर से होगा न्याय

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ब्यूरो रिपोर्ट

1–प्लांट में कार्यरत श्रमिकों को दिए जाने वाली वेतन पर्ची में है बड़ा गड़बडझाला , नहीं बनाई जाती वेतन पर्ची नियमों के अनुरूप

सतपुड़ा थर्मल पावर प्लांट मध्य प्रदेश शासन का उपक्रम है जिसमें शासन द्वारा निर्धारित दरों के साथ श्रैणी एवं कैटिगरी के अनुरूप थर्मल प्लांट में कार्यरत श्रमिकों को वेतनमान दिया जाना है परंतु प्लांट में कार्यरत बड़ी कंपनियों द्वारा ऐसा नहीं किया जाता और बड़े अधिकारियों कि मिली भगत से यह खेल पिछले कई समय से थर्मल प्लांट में चल रहा है
और जब श्रमिकों द्वारा न्याय की मांग की जाती है तो उन्हें काम से भी निकाल दिया जाता है
श्रमिकों के शोषण का मामला श्रम विभाग के जिला श्रम अधिकारी के पास भी पहुंचा था परंतु उनके द्वारा भी आज तक उचित कार्रवाई नहीं की गई जिसके कारण अब मामला हाई कोर्ट जबलपुर पहुंच गया है

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श्रमिकों के हितों को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में पी आई एल दाखिल करने वाले समाजसेवी सतीश बामने ने बताया कि पिछले कई समय से सी एच पी में कार्यरत लोकनाथ कंपनी के द्वारा श्रमिकों का शोषण किया जा रहा है और ऐसा ही पूर्व में इसी कार्य में कार्यरत अक्का लॉजिस्टिक कंपनी द्वारा भी किया जा रहा था सतपुड़ा प्लांट के सीएचपी में कई छोटे-छोटे काम जो की कई ठेकेदार करते थे एवं उन कार्यों में कई श्रमिक कार्यरत थे उन कार्यों को बंद कर उनके कार्य भी लोकनाथ कंपनी को दे दिए गए और लोकनाथ कंपनी द्वारा उन श्रमिकों को जहां पूर्व में₹14000 दिया जाता था।

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अब इस कार्य के उन श्रमिकों को₹9000 दिए जा रहे हैं और कुछ श्रमिकों को तो काम से भी निकाल दिया गया है और कम श्रमिकों से ही कार्य कराया जा रहा है
लोकनाथ और क्रांति कंपनी में कार्य श्रमिकों को दी जाने वाली वेतन पर्ची श्रम विभाग द्वारा निर्धारित मापदडों का अनुरूप नहीं है इन वेतन पर्चियो मे कैटिगरी और श्रेणी दोनों को एक साथ नहीं दर्शाया जाता है क्रांति कंपनी में तो हाउसकीपिंग का कार्य करने वाले श्रमिक से लेकर वेल्डर,ऑपरेटर और रिगर इन सभी का वेतन लगभग एक जैसा है और हाउसकीपिंग के कार्य में जहां लगभग 14 श्रमिक होने चाहिए वहां 9 श्रमिकों से ही कार्य कराया जा रहा है और पीएलसी एवं साईलों में भी ऑपरेटर कम है इस प्रकार अनेक फार्मूले अपना कर इन कंपनियों द्वारा श्रमिकों का शोषण किया जा रहा है
इसलिए सतपुड़ा प्लांट में कार्यरत श्रमिकों से सहमति बनाकर पूरी तैयारी के साथ न्याय पाने के लिए न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है.

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इनका है कहना

1—-सतपुड़ा प्लांट में यदि कोई कंपनी प्लांट में कार्यरत श्रमिकों को शासन द्वारा निर्धारित नियम अनुसार भुगतान नहीं करती है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी

धमदीप भगत
जिला श्रम अधिकारी
जिला बैतूल

2—हमारे प्लांट में मजदूरों के शोषण से जुड़े विषयों पर श्रम अधिकारी द्वारा समय-समय पर जांच की जाती है एवं प्लांट में कार्यरत श्रमिकों को वेतनमान भी नियम अनुसार दिया या जाता है

वी कै कैथवार
मुख्य अभियंता
सतपुड़ा थर्मल प्लांट सारणी

3–सतपुड़ा प्लांट में कार्यरत श्रमिकों को नियम अनुसार भुगतान मिले इसके लिए हमारे द्वारा कई बार प्रयास किया गया अब श्रमिकों के शोषण का मामला उच्च न्यायालय जबलपुर पहुंच गया जबकि निराकरण स्थानीय स्तर पर ही हो जाना था न्यायालय का निर्णय सर्वमान्य होगा

विनय डोंगरे
विभाग प्रमुख
भारतीय मजदूर संघ,