बुद्ध पूर्णिमा पर 700 से अधिक घरों में यज्ञ संपन्न
ब्यूरो रिपोर्ट
यज्ञ पिता गायत्री माता, देव संस्कृति के निर्माता,, गायत्री परिवार ट्रस्ट गायत्री प्रज्ञापीठ सारणी में अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के मार्गदर्शन में बुद्ध पूर्णिमा के उपलक्ष मे समूचे विश्व में ग्रहे ग्रहे गायत्री यज्ञ के अंतर्गत, गायत्री परिवार ट्रस्ट सारणीके कार्यकर्ता भाई बहनों ने जिसमें श्रीमती प्रमिला पांसे, जी आर पांसे ने कार्यकर्ता भाई बहनों को प्रोत्साहित कर उनके सहयोग से लगभग 700 से अधिक घरों में यज्ञ संपन्न हुए।
कार्यकर्ता भाई बहनों मैं श्रीमती श्रद्धा त्रिपाठी श्री विवेक कोसे, श्री योगेंद्र ठाकुर संजय देशमुख ,श्रीमती वंदना साहू श्रीमती मीरा गावंडे ,श्री प्रशांत पानसे, श्रीमती राधा चिल्लाटे , श्रीमती रत्नमाला पानसे ,श्री लक्ष्मण यादव, श्रीमती रेखा बर्डे ,सुरेंद्र सोनी, तिलक नागलै, श्री राम किशोर मालवीय श्रीमती गीता मालवी, श्रीमती ललिता देशमुख श्री लक्ष्मीकांत माथनकर, श्री चंद्रशेखर टैगोर प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर श्री किशन ठाकरे, गंगाधरधोटे शिवदयाल सूर्यवंशी श्रीमती निर्मला पवार श्री राजेश मालवीय श्रीमती श्यामा पटेले, दीपक मलैया श्री योगेश साहू श्रीमती कंचन कोसे, श्रीमती देवकी गुलबासे अजाबराव वागदरे इत्यादि भाई बहनों ने विभिन्न माध्यमों से घर घर जनसंपर्क कर यज्ञ के महत्व बताकर अपने-अपने घरों में यज्ञ करने के लिए प्रेरित किया तथा आवश्यकता अनुसार हवन सामग्री एवं किट भी पहुंचाई।
ग्रह ग्रह गायत्री यज्ञ प्रकृति पर्यावरण संस्कार संस्कृति ग्लोबल वार्मिंग वायु प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण विचार प्रदूषण जल प्रदूषण एवं अन्य विकृत विचारों के समन के लिए वातावरण के परीशोध न के लिए, जनमानस में देव परिवार के संगठन नवम देवी गुणों के उत्थान के लिए ग्रह ग्रह गायत्री यज्ञ बुद्ध पूर्णिमा पर प्रतिवर्ष संपन्न हो रहा है भगवान बुद्ध ने विचार क्रांति अभियान के अंतर्गत बुद्धम शरणम गच्छामि धम्मम शरणम गच्छामि संघम शरणम गच्छामि का महामंत्र देकर तथा अंगुलिमाल आम्रपाली राजा अशोक संघमित्रा के सहयोग से विचार क्रांति अभियान चलाया था जिसे प्रज्ञा अवतार का पूर्वार्ध कहा गया है इसका उतरार्ध, प्रज्ञा अवतार कल्कि अवतार अर्थात कलयुग के अंदर पिछले डेढ़ हजार साल से जो विकृतिया आई है।
उसकी हर क्षेत्र में परिशोधन के लिए परम पूज्य गुरुदेव ने प्रचंड तप किया तथा व्यक्ति निर्माण परिवार निर्माण समाज निर्माण एवं अन्य 100 योजनाओं के माध्यम से समूची भूमंडल को अखिल विश्व गायत्री परिवार एवं हजारों शक्तिपीठ हो प्रज्ञापीठ हो प्रज्ञा मंडल महिला मंडलों के माध्यम से हर घर घर में यज्ञ संस्कार साधना पर्यावरण नशा मुक्ति आदर्श विवाह प्रज्ञा गीत जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से नागरिकों को कर्तव्य परायण देशभक्त बनाकर देश को सशक्त एवं समर्थ बनाने की प्रत्येक दिशा में सृजनात्मक कार्य चल रहा है।
इसी के अंतर्गत जैसे रावण के एक लाख नाती सवा लाख पुत्र एवं अन्य असुरों केसंहार के पश्चात, कौरवों के संहार के पश्चात, भगवान राम जी ने अश्वमेध महायज्ञ तथा भगवान कृष्ण जी ने राजसूय यज्ञ कराए थे इस तरह वातावरण का परिशोधन करने तथा हमारे देश को जगतगुरु एवं सोने की चिड़िया बनाने के लिए यह विशिष्ट साधनाएं चल रही है ,,उठो सुनो, प्राची से उगते, सूरज की आवाज, अपना देश बनेगा फिर से दुनिया का सरताज, .