राष्ट्र रक्षा मिशन ने मनाया राष्ट्र ध्वज अंगीकार दिवस, एसपी-एएसपी ने काटा केक
वरिष्ठ महिला पत्रकार गौरी बालापुरे पदम्
- राष्ट्र रक्षा मिशन ने मनाया राष्ट्र ध्वज अंगीकार दिवस, एसपी-एएसपी ने काटा केक
- श्री श्री ज्ञान मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम,बैच लगाकर दी शुभकामनाएं
बैतूल। जिले की सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अग्रणी संस्था बैतूल सांस्कृतिक सेवा समिति (राष्ट्र रक्षा मिशन) ने राष्ट्र ध्वज अंगीकार दिवस धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर एसपी निश्चल झारिया एवं एएसपी कमला जोशी ने केक काटकर सभी को राष्ट्रीय ध्वज अंगीकार दिवस की शुभकामनाएं दी। समिति अध्यक्ष गौरी बालापुरे पदम ने बताया कि संस्था द्वारा तिरंगे का अंगीकार दिवस पिछले 11 वर्ष से जिले में मनाया जा रहा है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था, जो 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के कुछ ही दिन पूर्व की गई थी। एसपी कार्यालय में राष्ट्रीय ध्वज अंगीकार दिवस को गरिमामय तरह से मनाते हुए समिति के पदाधिकारी भारत सिंह पदम, ईश्वर सोनी, शिवानी मालवीय सदस्य मेहर प्रभा परमार, चेताली गौर, प्रदीप निर्मले, प्रज्ञा झगेकर, प्रियंका पंडोले, सरिता अतुलकर, उषा अतुलकर, छाया प्रजापति, ललित नारे एवं त्रिशा नारे ने पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सभी पुलिस अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों को तिरंगे का बैच लगाकर, केक एवं मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दी।
इस दौरान एसपी श्री झारिया ने कहा कि वे पहली बार राष्ट्रीय ध्वज का अंगीकार दिवस इस तरह मना रहे है, संस्था द्वारा किए जा रहे कार्यों की उन्होंने सराहना की। उन्होंने कहा कि देश की अंतराष्ट्रीय सीमाओं पर पहुंचकर देश के जवानों की रक्षा सूत्र बांधकर हौसला अफजाई अनूठा प्रयास है। एएसपी श्रीमती कमला जोशी ने भी संस्था के सेवा प्रकल्प ऑटो एम्बुलेंस को सराहा।
राष्ट्र ध्वज अंगीकार दिवस पर गूंजा झण्डा ऊं चा रहे हमारा
इधर श्री-श्री ज्ञान मंदिर हमलापुर में आयोजित कार्यक्रम में भी स्कूल के विद्यार्थियों ने तिरंगे पर आधारित रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए। विजयी विश्व तिरंगा प्यारा गीत पर हाथों में तिरंगा लिए बच्चे झूमने लगे। यहां भी केक कटिंग कर तिरंगे का अंगीकार दिवस मनाया गया। इस दौरान शाला की प्राचार्य जयश्री शाह द्वारा बच्चों को तिरंगे का महत्व बताया कहा कि शाला में हमेशा तिरंगे का अंगीकार दिवस उत्सव की तरह आगे भी मनाते रहेंगे। इस दौरान उन्होंने माता अहिल्यबाई होलकर के शौर्य एवं नेतृत्व की कहानियां भी बच्चों को सुनाई। श्रीमती पदम भी तिरंगे के तीनों रंगों एवं अशोक च्रक के संबंध में बच्चों को विस्तार पूर्वक बताया। बारिश के बीच भी यहां कार्यक्रम को लेकर बच्चों में उत्साह था। शाला के स्टाफ ने तिरंगे के अंगीकार दिवस को लेकर विभिन्न तैयारिया की। मंच को बाकायदा तिरंगा थीम में सजाया गया।
अपने राष्ट्रीय ध्वज को जानिएं
भारतीय राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग की क्षैतिज पट्टियां हैं, सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद ओर नीचे गहरे हरे रंग की पट्टी और ये तीनों समानुपात में हैं। ध्वज की चौड़ाई का अनुपात इसकी लंबाई के साथ 2 और 3 का है। सफेद पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है। यह चक्र अशोक की राजधानी के सारनाथ के शेर के स्तंभ पर बना हुआ है। इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है और इसमें 24 तीलियां है।
भारत के राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी पट्टी में केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है। बीच में स्थित सफेद पट्टी धर्म चक्र के साथ शांति और सत्य का प्रतीक है। निचली हरी पट्टी उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। इस धर्म चक्र को विधि का चक्र कहते हैं जो तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए सारनाथ मंदिर से लिया गया है। इस चक्र को प्रदर्शित करने का आशय यह है कि जीवन गतिशील है और रुकने का अर्थ मृत्यु है।