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14 सितम्बर को नेशनल लोक अदालत-आपसी सुलह एवं समझौते के आधार पर निराकरण का मौका

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नीता वराठे की रिपोर्ट 

  • नेशनल लोक अदालत में आपसी सुलह एवं समझौते के आधार पर निराकरण करा सकते है: श्री प्राण
  • जिला न्यायालय बैतूल में नेशनल लोक अदालत का 14 सितम्बर को होगा आयोजन

बैतूल।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जिला न्यायालय बैतूल के सयुक्त त्वावधान में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधान जिला न्यायधिश श्री प्राणेश कुमार प्राण ने जानाकारी देते हुए बताया की
मध्यप्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है। इसी तारतम्य में बैतूल जिले में भी नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया है। यह लोक अदालत जिला न्यायालय बैतूल, व्यवहार न्यायालय आमला, भैंसदेही एवं मुलताई के साथ-साथ राजस्व न्यायालयों, श्रम न्यायालय, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण फोरम, ग्राम न्यायालयों आदि के न्यायालयों में भी आयोजित होगी।

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पक्षकारगण इस लोक अदालत के समक्ष कोई मामला या न्यायालय की अधिकारिता के भीतर आने वाले किसी ऐसे विषय के बावत् जो उसके समक्ष नहीं लाया गया है को आपसी सुलह एवं समझौते के आधार पर निराकरण करा सकते है। पक्षकारगण किसी भी न्यायालयीन कार्य दिवस पर आपसी सुलह एवं समझौते के माध्यम से अपने प्रकरणों के निराकरण हेतु संबंधित न्यायालय में अपनी सहमति सहित आवेदन पत्र प्रस्तुत कर सकते है। जिससे उनके मामले का निपटारा आपसी सुलह एंव समझौते के आधार पर लोक अदालत में किया जा सके।
इतना ही नही प्रधान जिला न्याय धिश श्री प्राणेश कुमार प्राण ने 6बिंदुओं में लोक अदातत के लाभ भी बताए जो की इस प्रकार हैं।

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लोक अदालत के लाभ

 

1 पक्षकारों के मध्य आपसी स‌द्भाव, उत्पन्न होता है तथा पक्षकारों के मध्य विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है तथा समय, धन व श्रम की बचत होती है।
2. विभिन्न न्यायालयों में लंबित वाद लोक अदालत में एक स्थान पर निर्णित कराये जा सकते है।

 

3. लोक अदालत द्वारा पारित आदेश/अवार्ड की निःशुल्क सत्यप्रतिलिपियां पक्षकारों को तुरन्त प्रदान की जाती है।

4. लोक अदालत का आदेश/अवार्ड अंतिम है व इसके विरूद्ध कोई अपील नहीं होती है।

5. लोक अदालत के माध्यम से निराकृत मामले में अदा की गई कोर्ट फीस वापस प्रदान की जाती है।

6. लोक अदालत एक न्यायिक प्रक्रिया है तथा लोक अदालतों को कानूनी मान्यता प्राप्त हो गई है। अतः उन फैसलों को अदालत का फैसला माना जाता है और वह सभी पक्षों पर अनिवार्य रूप से लागू होता है।

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