गोपाष्टमी पर्व -भारत भारती गौशाला में सैंकड़ों गौ श्रद्धालुओं ने गौमाताओं का किया पूजन
नीता वराठे
गोपाष्टमी पर्व के अवसर पर भारत भारती गौशाला में सैंकड़ों गौ श्रद्धालुओं ने गौमाताओं का पूजन किया । कार्यक्रम में मञ्च पर जनजाति शिक्षा से राष्ट्रीय सह संयोजक श्री बुधपाल सिंह ठाकुर, जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष एवं भारत भारती शिक्षा समिति के सचिव श्री मोहन नागर, समिति के कोषाध्यक्ष श्री मुकेश खंडेलवाल, नगर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ कैलाश वर्मा, विद्यालय के अभिभावक और उन्नत कृषक श्री श्यामराव बारंगे, ने गौशाला की वंशी गाय की पूजा की । इसके पश्चात समारोह में उपस्थित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने गायों की विधिवत आरती कर उन्हें गोग्रास दिया ।
समारोह को सम्बोधित करते हुए भारत भारती के सचिव मोहन नागर ने कहा कि भारत भारती गौशाला गौपालन व जैविक कृषि का प्रशिक्षण केन्द्र है। यहाँ गौ आधारित कृषि को लेकर अनेक आयामों का प्रशिक्षण दिया जाता है । उन्होंने कहा कि गाय भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था का केन्द्र बिन्दु है । अगर गाय समाप्त हुई तो अनेक जीव श्रंखलाएँ समाप्त हो जायेगी । श्री नागर ने कहा कि वर्तमान समय में भारत जैसे कृषि प्रधान देश जिसमें एक समय गाय को घर का धन माना जाता था, आज गौ वंश उपेक्षित हो रहा है। खेतों में उनके चारे को जला दिया जा रहा है क्यूंकि घरों में गाय है ही नहीं । ये कृत्य जैव विविधता को नुकसान पहुँचा रहा है। वैज्ञानिक रूप से भी देखा जाए तो आहार श्रंखला का बहुत महत्व है । हमे इसका संरक्षण करना होगा और इस हेतु पुनः गौपालन की ओर ना होगा । साथ ही लोगों को, युवा पीढ़ी को जागरूक करना होगा ।
इस अवसर पर डॉ कैलाश वर्मा ने कहा कि गाय आयु, प्राण, ओज, तेज आदि अष्ट सिद्धियों की दाता है । श्री कृष्ण भगवान हजारों वर्ष पूर्व हमे गौपाल करना सिखाया था । उसी परम्परा में गोपाष्टमी जैसे उत्सव समाज मे मनाये जाते हैं । उन्होंने कहा कि हमें गौपालन की ओर पुन: आना होगा । कार्यक्रम में भारत भारती गौशाला के गौ सेवकों, कर्मचारियों कृषि का प्रशिक्षण केन्द्र है। यहाँ गो आधारित कृषि को लेकर अनेक आयामों का प्रशिक्षण दिया जाता है । उन्होंने कहा कि गाय भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था का केन्द्र बिन्दु है । अगर गाय समाप्त हुई तो अनेक जीव श्रंखलाएँ समाप्त हो जायेगी । श्री नागर ने कहा कि वर्तमान समय में भारत जैसे कृषि प्रधान देश जिसमें एक समय गाय को घर का धन माना जाता था, आज गौ वंश उपेक्षित हो रहा है। खेतों में उनके चारे को जला दिया जा रहा है क्यूंकि घरों में गाय है ही नहीं । ये कृत्य जैव विविधता को नुकसान पहुँचा रहा है । वैज्ञानिक रूप से भी देखा जाए तो आहार श्रंखला का बहुत महत्व है । हमे इसका संरक्षण करना होगा और इस हेतु पुनः गौपालन की ओर लौटना होगा । साथ ही लोगों को, युवा पीढ़ी को जागरूक करना होगा ।
इस अवसर पर डॉ कैलाश वर्मा ने कहा कि गाय आयु, प्राण, ओज, तेज आदि अष्ट सिद्धियों की दाता है । श्री कृष्ण भगवान ने हजारों वर्ष पूर्व हमे गौपाल करना सिखाया था । उसी परम्परा में गोपाष्टमी जैसे उत्सव समाज मे मनाये जाते हैं । उन्होंने कहा कि हमें गौपालन की ओर पुन: आना होगा । कार्यक्रम में भारत भारती गौशाला के गौ सेवकों, कर्मचारियों का मञ्च से सम्मान किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन विद्यालय की छात्रा भूमिका बारंगे किया । अतिथियों का स्वागत गौशाला प्रभारी फूलचन्द बारस्कर ने किया।
=